एडिलेड। भारतीय कप्तान विराट कोहली और उनकी निडर टीम गुरुवार को यहां शुरू होने वाले पहले दिन-रात्रि टेस्ट के लिए ऑस्ट्रेलिया के गुलाबी गेंद के क्रिकेट के दबदबे को चुनौती देने के मद्देनजर सही चयन करना चाहेगी जबकि मेजबान टीम के कई खिलाड़ी चोटों की समस्या से जूझ रहे हैं।
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया कारोबारी कैरी पैकर ने 1970 के दशक में चैनल नाइन पर अपनी विश्व सीरीज दिन-रात्रि टेस्ट मैचों को प्रोमोट करते हुए एक शानदार कैप्शन दिया था, बिग ब्वाएज प्ले एट नाइट (शीर्ष खिलाड़ी रात में खेलते हैं)।
यहां तक कि 2020 में भी सीरीज के लिए इससे उचित कैप्शन नहीं मिल सकता जिसमें कोहली की शानदार बल्लेबाजी का सामना स्टीव स्मिथ की रन जुटाने की निरंतरता से हो, जिसमें चेतेश्वर पुजारा के क्रीज पर टिके रहने की जिद को युवा मार्नस लाबुशेन चुनौती दे। और यह सब एडीलेड ओवर में दूधिया रोशनी में खेले जाने वाले मुकाबले में होगा।
साथ ही दोनों टीमों के तेज गेंदबाज गुलाबी गेंद से गोधूलि के समय बल्लेबाजों के दिमाग में संशय पैदा कराना चाहेंगे। जोश हेजलवुड बनाम मोहम्मद शमी मुकाबला भी काफी रोमांचक होगा जबकि पैट कमिंस के बाउंसर का जवाब जसप्रीत बुमराह अपने यार्कर से देना चाहेंगे।
ईशांत शर्मा जैसा अनुभवी तेज गेंदबाज भारतीय टीम में शामिल नहीं है तो वहीं ऑस्ट्रेलियाई लाइन-अप को अपने स्टार डेविड वॉर्नर की कमी खलेगी जिससे दोनों टीमें मजबूती के हिसाब से बराबरी पर ही दिखती हैं। हालांकि ऑस्ट्रेलियाई टीम को ज्यादा दिन-रात्रि टेस्ट खेलने का अनुभव है और उसे घरेलू परिस्थितियों का फायदा निश्चित रूप से मिलेगा।
दिन-रात्रि टेस्ट मैच की अपनी खासियत है जिसमें बल्लेबाजों के पहले सत्र में हावी होने की उम्मीद होती है जबकि जब सूरज छिप जाता है तो गेंदबाजों की तूती बोलती है क्योंकि गुलाबी कूकाबूरा की रफ्तार तेज हो जाती है।
वहीं भारतीय टीम के पास विभिन्न स्थानों के लिए इतने सारे विकल्प कभी भी नहीं होते थे। इससे 24 घंटे पहले भी कोई भी निश्चित नहीं हो सकता कि टेस्ट मैच के लिए उचित संयोजन कौन सा होगा जो पारंपरिक टेस्ट से अलग है। और दो अभ्यास मैचों ने भारतीय टीम को निश्चित जवाब देने के बजाय दुविधा ही पैदा कर दी है।
सबसे बड़ी दुविधा सलामी बल्लेबाजी के स्थान को लेकर है जिसमें पृथ्वी शॉ और मयंक अग्रवाल की जोड़ी न्यूजीलैंड की तेज पिचों पर फ्लाप रही थी। शुभमन गिल के रूप में भारत के पास भविष्य का खिलाड़ी मौजूद है लेकिन क्या कोहली और कोच रवि शास्त्री इस युवा को मौका देने को तैयार हैं या फिर वे लोकेश राहुल के टेस्ट मैचों के लचर रिकॉर्ड की अनदेखी कर उनके अनुभव पर भरोसा करेंगे?
मैच से दो दिन पहले भी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है, हालांकि गिल को अपनी बल्लेबाजी से एलेन बार्डर और सुनील गावस्कर का वोट मिला है जिनके नाम उस चमचमाती ट्रॉफी पर हैं जिसे विजेता टीम को दिया जाएंगा। क्या राहुल छठे स्थान के लिए फिट हो सकते हैं?
लेकिन फिर यह हनुमा विहारी की कीमत पर ही होगा जिन्होंने भारतीय टीम के साथ दो वर्षों में कुछ भी गलत नहीं किया है और वह कुछ कामचलाऊ ऑफ ब्रेक गेंदबाजी भी कर सकते हैं। क्या वे यह जोखिम लेने को तैयार हैं? इस समय कोई भी नहीं जानता है।
और फिर बल्लेबाज-विकेटकीपर ऋषभ पंत या विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋद्धिमान साहा के बीच में से किसकी ज्यादा जरूरत की लगातार चलने वाली बहस? पंत की दोयम दर्जे के आक्रमण के खिलाफ दूधिया रोशनी में 73 गेंद में खेली गई 100 रन की पारी की तुलना में साहा ने मुश्किल परिस्थितियों में लाल गेंद से प्रथम श्रेणी मैच में अर्द्धशतकीय पारी खेली थी।
लेकिन पंत मैच विजेता हो सकते हैं जबकि साहा बल्ले से मैच बचाने में सर्वश्रेष्ठ हैं। लेकिन दोनों की तकनीक कमजोर हैं जिससे हेजलवुड, कमिंस, मिशेल स्टार्क और नाथन लियोन लगातार उनकी परीक्षा लेंगे।
मंगलवार को भारत के शीर्ष बल्लेबाजों को एडिलेड के नेट पर गुलाबी कूकाबूरा से टी नटराजन की अंदर आती गेंदों से परेशानी हो रही थी। अगर नटराजन की 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उन्हें इतनी परेशानी हो सकती है तो गुलाबी गेंद के टेस्ट में दुनिया के सर्वाधिक विकेट चटकाने वाले स्टार्क कितने खतरनाक हो सकते हैं।
कभी कभार कम विकल्प में से चयन करना आसान होता है और कोहली उम्मीद करेंगे कि वह सही विकल्पों का चयन करें ताकि अजिंक्य रहाणे उनके ब्रेक के बाद भारत को यही दोहराने में मदद कर सकें।