भारत को कुंबले से कमाल की आस

बुधवार, 21 नवंबर 2007 (22:30 IST)
नए कप्तान और एकदिवसीय श्रृंखला में जीत से नया जोश और जज्बा हासिल करने वाली भारतीय टीम कुछ प्रमुख गेंदबाजों के चोटिल होने के बावजूद पाकिस्तान के खिलाफ अपनी सरजमीं पर टेस्ट श्रृंखला न जीत पाने के मिथक को तोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें कलाईयों के जादूगर अनिल कुंबले और बल्लेबाजी की मशहूर चौकड़ी पर काफी दारोमदार रहेगा।

भारत एकदिवसीय श्रृंखला में 3-2 की जीत हासिल करके टेस्ट श्रृंखला में उतर रहा है, लेकिन कुंबले की टीम को अपने चिर-प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ मैदान पर उतरने से पहले करारा झटका सहना पड़ा है।

उसके दो प्रमुख गेंदबाज रुद्रप्रताप सिंह और एस. श्रीसंथ चोटिल होने के कारण फिरोजशाह कोटला में कल से होने वाले पहले टेस्ट मैच में नहीं खेल पाएँगे। इससे पाकिस्तान की तुलना में पहले ही कमजोर माना जा रहा भारतीय आक्रमण और पंगु हो गया है।

आक्रामक श्रीसंथ कंधे की चोट से नहीं उबर पाए हैं, जबकि फॉर्म में चल रहे आरपी सिंह मंगलवार को अभ्यास के दौरान घायल हो गए थे। टीम प्रबंधन को अब मुनाफ पटेल का बुलाना पड़ा, जिनकी फिटनेस पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। दिल्ली के तेज गेंदबाज इशांत शर्मा भी टीम के साथ रहेंगे।

दो मुख्य गेंदबाजों के बाहर हो जाने से अब जहाँ कोटला के बादशाह कप्तान कुंबले पर अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है। हालाँकि वह काफी अनुभवी हैं और अपनी जिम्मेदारियों से अच्छी तरह वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपने पद की जिम्मेदारियों से वाकिफ हूँ और आशा है कि मैं अपेक्षाओं पर खरा उतरूँगा।

भारत ने पाकिस्तान को अपनी सरजमीं पर 27 साल पहले 1979-80 में सुनील गावस्कर की अगुवाई में मात दी थी। महेंद्रसिंह धोनी की कप्तानी में टीम ने अपने इस पड़ोसी को 24 साल बाद अपनी धरती पर एकदिवसीय श्रृंखला में हराया है और अब कमाल दिखाने की बारी कुंबले की है।

कुंबले के लिये अच्छी बात यह है कि वह कप्तान के रूप में अपना पहला मैच उस मैदान पर खेल रहे हैं जो उनके लिए खास रहा है और जिस पर पिछले 14 साल से भारतीय टीम लगातार जीत दर्ज करती रही है।

कुंबले ने इसी मैदान पर पाकिस्तान के खिलाफ 1999 में एक पारी में सभी दस विकेट लिए थे। इस मैदान पर विकेटों का अर्धशतक पूरा करने के लिए उन्हें केवल दो विकेट की दरकार है, जिसे वह संभवत: पूरा कर लेंगे लेकिन भारतीय कप्तान ही नहीं विपक्षी टीम भी इस बात से वाकिफ है कि जो बीत गया वह इतिहास है।

नया मैच और नई चुनौतियाँ
'जम्बो' का विशेष लगाव रहा है कोटला से

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