'जम्बो' का विशेष लगाव रहा है कोटला से

शनिवार, 12 जनवरी 2008 (17:16 IST)
पिछले 14 वर्ष से भारत के लिए बेहद भाग्यशाली रहे फिरोजशाह कोटला मैदान से अनिल कुंबले (जम्बो) का भी विशेष लगाव रहा है, जहाँ वह 22 नवंबर को कप्तान के तौर पर अपना पहला टेस्ट मैच भी खेलेंगे।

कोटला कुंबले के लिए कितना खास है इसका अंदाजा इसी से लग सकता है कि उन्होंने 1992 में अंडर-19 टीम की तरफ से पहला शतक इसी मैदान पर ईरानी ट्रॉफी में जमाकर शानदार प्रदर्शन करके दक्षिण अफ्रीका जाने वाली भारतीय टीम में वापसी की और पाकिस्तान के खिलाफ 1999 में दूसरी पारी में सभी दस विकेट लेकर जिम लेकर के 'परफेक्ट टेन' की बराबरी की।

कुंबले ने कोटला पर अब तक पाँच मैच खेले हैं, जिनमें उन्होंने 15.45 की औसत से 48 विकेट लिए हैं। यह किसी भी मैदान पर उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। उन्होंने एक पारी के अलावा एक मैच में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पाक के खिलाफ 149 रन देकर 14 विकेट भी इसी मैदान पर किया है। इस मैदान पर कुंबले ने चार बार पारी में पाँच विकेट और दो बार मैच में दस विकेट लिए हैं।

जहाँ तक भारत का सवाल है तो उसने कोटला पर 28 मैच खेले हैं जिनमें नौ में उसे जीत और छह में पराजय मिली। बाकी 13 मैच ड्रॉ समाप्त हुए। पाकिस्तान के खिलाफ कोटला में भारत का रिकॉर्ड शानदार रहा है। इन दोनों चिर प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ यहाँ खेले गए चार मैच में भारत ने दो जीते हैं, जबकि बाकी दो अनिर्णित छूटे थे।

कोटला पिछले डेढ़ दशक से भारत के लिए विशेष भाग्यशाली रहा है। भारत ने 1993 में जिम्बॉब्वे के खिलाफ मैच से लेकर यहाँ खेले गए सभी छह मैच में जीत दर्ज की है। इनमें पाकिस्तान के खिलाफ 1999 में खेला गया मैच भी शामिल है, जिसमें भारत 212 रन से जीता था।

भारत ने यहाँ अंतिम मैच दो साल पहले श्रीलंका के खिलाफ खेला था, जिसमें कुंबले ने दस विकेट लेकर टीम को जीत दिलाई थी।

कुंबले के अलावा सौरव गांगुली के लिए भी यह मैदान खास रहा है, जो इस मैदान पर सर्वाधिक रन बनाने वाले चार बल्लेबाजों में शामिल हैं। गांगुली ने कोटला में पाँच मैच में 69.85 की औसत से 489 रन बनाए हैं।

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सचिन तेंडुलकर ने कोटला में छह मैच में 471 रन बनाए हैं लेकिन उनका औसत 42.81 है। यह मैदान उनके लिए खास इसलिए है क्योंकि दो साल पहले इसी मैदान पर उन्होंने 35वाँ शतक जमाकर सुनील गावस्कर के 34 शतक का रिकॉर्ड तोड़ा था।

तेंडुलकर जिस तरह से इस साल एकदिवसीय मैचों में नर्वस नाइंटीज के शिकार बने हैं उसे देखते हुए उन्हें कोटला में फिर एक अच्छी पारी की आस होगी क्योंकि 2005 में भी उन्होंने एक साल बाद टेस्ट मैचों में शतक जमाकर रिकॉर्ड बनाया था।

पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ उन चार बल्लेबाजों में शामिल हैं जिन्हें कोटला पर दोहरा शतक जमाने का गौरव हासिल है। द्रविड़ ने यहाँ पाँच मैच में 65.14 की औसत से 456 रन बनाए हैं, जिसमें जिम्बॉब्वे के खिलाफ नवंबर 2000 में खेली गई नाबाद 200 रन की पारी भी शामिल हैं।

भारतीय मध्यक्रम के एक और मजबूत स्तंभ वीवीएस लक्ष्मण हालाँकि कोटला पर खास नहीं चल पाए हैं। इस मैदान पर उन्होंने तीन मैच में केवल 141 रन बनाए हैं। लक्ष्मण को मध्यक्रम की एक जगह के लिए कड़ी टक्कर दे रहे युवराजसिंह ने कोटला पर एक मैच में शून्य और नाबाद 77 रन जबकि महेंद्रसिंह धोनी ने पाँच और नाबाद 51 रन की पारियाँ खेली हैं।

इरफान पठान ने टेस्ट मैचों में इसी मैदान पर पारी का आगाज करके 93 रन बनाए थे, जबकि हरभजनसिंह ने इस मैदान पर तीन मैच में 15 विकेट लिए हैं।

इस मैदान की एक और खासियत यह है कि इसमें पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम नुकसान में रही है। अब तक जिन 15 मैच का परिणाम निकला है, उनमें पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम केवल पाँच जबकि बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम दस बार विजयी रही है।

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