पाकिस्तान में लगभग पांच लाख अहमदिया लोग रहते हैं। उनका प्रतिनिधित्व करने वाले एक समूह जमात अहमदिया की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है, "भेदभावपूर्ण कानूनों का फायदा उठा कर पाकिस्तान में 77 अहमदिया लोगों के खिलाफ 77 मामले दर्ज किए गए।"
रिपोर्ट कहती है कि सरकार और विपक्षी दल, राजनीतिक फायदा हासिल करने के चक्कर में अहमदिया लोगों के खिलाफ नफरत को भड़काते हैं और 'खत्म ए नुबुआत' का नारा देते हैं जिसका अर्थ होता है कि मोहम्मद ही आखिरी पैगंबर थे। बहुत से मुसलमान मोहम्मद को ही आखिरी पैगंबर मानते हैं लेकिन अहमदिया लोगों का विश्वास है कि उनके बाद भी एक पैगंबर आए थे जिनका नाम मिर्जा गुलाम अहमद है।
पाकिस्तान के न्याय मंत्री को पिछले साल उस वक्त इस्तीफा देना पड़ा जब एक कट्टरपंथी मौलवी के समर्थकों ने उन्हें ईशनिंदा का आरोपी करार दिया। उन्होंने चुनाव से जुड़े एक कानून में बदलाव करने की कोशिश की थी जिसे अहमदिया लोगों के प्रति नरमी के तौर पर देखा गया। जमात अहमदिया के प्रवक्ता सलीमुद्दीन का कहना है कि यह इस्तीफा दिखाता है कि सरकार कट्टरपंथियों के सामने कितनी बेबस है। वह कहते हैं, "अहमदिया लोगों का उत्पीड़न और दमन नई ऊचाइयों को छू रहा है।"