क्या समाप्त हो जाएगा एंग्लो इंडियन का राज्य विधानसभाओं में नामांकन

Webdunia
शुक्रवार, 3 जनवरी 2020 (21:08 IST)
भारतीय संविधान के 126वें संशोधन के अनुसार अब उत्तर प्रदेश विधानसभा ने भी दलितों के लिए आरक्षण को आगे जारी रखने के पक्ष में प्रस्ताव पारित किया है। वहीं एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए आरक्षित एक सीट समाप्त हो सकती है।

भारत के लगभग सभी बड़े नगरों और शहर में आपको ऐसे स्कूल मिल जाएंगे जिनको एंग्लो इंडियन समुदाय द्वारा संचालित किया जाता है। समाज में इस समुदाय को लोगों को अब भी कई लोग 'अंगरेज' समझते हैं। भारत के संविधान के अंतर्गत लोकसभा में 2 और राज्यों की विधानसभा में 1 सदस्य एंग्लो इंडियन समुदाय से नामित किया जाता है। लेकिन अब इस प्रावधान पर ब्रेक लग सकता है। संसद द्वारा पारित अधिनियम की उत्तर प्रदेश विधानसभा ने भी पुष्टि कर दी है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधानसभा में 404 सदस्य होते हैं, जिसमें एक सदस्य एंग्लो इंडियन समुदाय से नामित होता है। अब उत्तर प्रदेश विधानसभा में 403 सदस्य रह जाएंगे।

कौन होते हैं एंग्लो इंडियन
एंग्लो इंडियन जिनको हिंदी में आंग्ल भारतीय कहा जाता है, उनकी परिभाषा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 366 (2) में परिभाषित की गई है। इसके अनुसार, आंग्ल-भारतीय से ऐसा व्यक्ति है जिसका पिता या पितृ-परंपरा में कोई अन्य पुरुष जनक यूरोपीय उद्भव का है या था, किंतु जो भारत के राज्यक्षेत्र में अधिवासी है और जो ऐसे राज्यक्षेत्र में ऐसे माता-पिता से जन्मा है या जन्मा था जो वहां साधारणतया निवासी रहे हैं और केवल अस्थाई प्रयोजनों के लिए वास नहीं कर रहे हैं।

इस परिभाषा के अनुसार ये बात बिलकुल साफ है कि हर ईसाई व्यक्ति एंग्लो इंडियन नहीं होता है। इसके लिए पुरुष जनक यूरोपीय मूल का होना चाहिए। बहुत से एंग्लो इंडियन लोग प्रसिद्ध हुए। जैसे कि कीलर बंधु। ये दोनों भाई एयर फील्ड मार्शल डेंजिल कीलर और विंग कमांडर ट्रेवोर कीलर भारतीय वायुसेना का हिस्सा रहे। इतिहास में ऐसे मौके कम ही होंगे जब 2 भाइयों को वीर चक्र से सम्मानित किया गया हो। दोनों के अदम्य साहस और वीरता के कारण 1965 के भारत-पाक युद्ध में वीर चक्र से सम्मानित हुए थे। दोनों का जन्म लखनऊ में हुआ था।

इसके अलावा फ्लाइट लेफ्टिनेंट अल्फ्रेड कुक ने लखनऊ में पढ़ाई की थी और उनको भी 1965 के भारत-पाक युद्ध में वीर चक्र से सम्मानित किया गया। और भी कई प्रसिद्ध एंग्लो इंडियन समुदाय की हस्तियां हुई हैं जैसे पीटर फैनथम जो कई बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे एवं आईसीएसई के चेयरमैन भी हुए। पॉप सिंगर क्लिफ रिचर्ड भी लखनऊ में पैदा हुए। वहीं जॉर्ज बेकर ने भी लखनऊ के लामार्टिनियर कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की है। हॉलीवुड कलाकार माइकल बेट्स का भी जन्म झांसी में हुआ था।

कैसी है एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रतिनिधित्व की व्यवस्था
भारत के संविधान के अनुच्छेद 331 के अंतर्गत लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के अधिकतम 2 सदस्यों के नामांकन का प्रावधान भारत के राष्ट्रपति के अधिकार में है। वहीं एंग्लो इंडियन समुदाय को भारत के संविधान के अनुच्छेद 333 के अंतर्गत विधानसभा में अधिकतम 1 सदस्य का नाम निर्देशित करने का अधिकार कुछ राज्यों के राज्यपाल के पास निहित है। एंग्लो इंडियन समुदाय को भारत के संविधान के अनुच्छेद 334 (ख) के अंतर्गत लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में नाम निर्देशन के द्वारा प्रतिनिधित्व प्राप्त है।

वहीं भारत के संविधान के अनुच्छेद 334 (क) द्वारा लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों के आरक्षण संबंधी प्रावधान हैं। वर्तमान में लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में केवल यही आरक्षण है जिसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए सीटें आरक्षित रहती हैं।

संविधान में 126वां संशोधन
एंग्लो इंडियन समुदाय के नामांकन एवं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के आरक्षण की समय सीमा 70 वर्ष के उपरांत अर्थात 25 जनवरी 2020 को समाप्त हो रही थी। संसद द्वारा लोकसभा और राज्यसभा ने दिसंबर 2019 को संविधान (एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक 2019 पारित कर दिया। इससे अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सीटों के लिए आरक्षण सीमा 10 वर्ष बढ़ा दी गई है।

परंतु एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए इसमें कोई जिक्र नहीं है। इससे ये तात्पर्य निकलता है कि अगर प्रावधान न किया गया तो भविष्य में एंग्लो इंडियन समुदाय को नाम निर्देशन द्वारा सदनों में प्रतिनिधित्व समाप्त हो जाएगा। वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधानसभा में 404 सदस्य होते हैं जिसमें एक सदस्य एंग्लो इंडियन समुदाय से नामित होता है।

क्या कहता है एंग्लो इंडियन समुदाय
वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधानसभा में डेंजिल जे गोडिन नामित सदस्य हैं। राज्य विधानसभा में जब इस विधेयक की पुष्टि हुई तब भी डेंजिल ने अपना मत रखा। डेंजिल बताते हैं कि संभवतः इसमें कुछ आंकड़ों की गलती हो गई है। डेंजिल कहते हैं, कानून मंत्री द्वारा ये बताया गया कि एंग्लो इंडियन समुदाय के मात्र 296 लोग हैं। ऐसा संभव नहीं है। हमारे लखनऊ में ही 500 लोग हैं। पूरे देश में लगभग 3.5 से 6.5 लाख लोग हैं।

डेंजिल का मानना है कि चूंकि जनगणना फार्म में एंग्लो इंडियन लिखने का कोई कॉलम नहीं होता, उन्होंने धर्म क्रिश्चियन लिखवाया। डेंजिल ने कहा, इसमें कोई जाति होती नहीं है। एंग्लो इंडियन समुदाय के लोग अंग्रेजी ज्यादा बोलते हैं तो हो सकता है कि उन्होंने धर्म की जगह यही लिखवा दिया हो। इस कारण गलती हुई है, लेकिन गलती को सुधारा भी जा सकता है। हमें नेताओं से यही आशा है।

पूरे भारत में केवल 296!
डेंजिल के अनुसार, उनका समुदाय हमेशा से राष्ट्र निर्माण में लगा रहा है। आंकड़ों के हिसाब से उनका योगदान अत्यधिक है। डेंजिल बताते हैं कि पिछले वर्ष 26 जनवरी को राजपथ पर जिस वायुसेना अधिकारी ने फूल बरसाए थे वो भी एंग्लो इंडियन हैं। वे कहते हैं, पूरे देश में हमारा समुदाय स्कूल, अस्पताल स्थापित करता है। इससे सरकार की समस्त योजनाओं का लाभ जनमानस तक पहुंचाया जाता है। गोडिन इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिल चुके हैं और आशावान्वित हैं कि उनके समुदाय के बारे में अवश्य सोचा जाएगा।

एंग्लो इंडियन समुदाय से सोलहवीं लोकसभा में नामित सदस्य जॉर्ज बेकर भी इस सुविधा को जारी रखने के पक्ष में है। बेकर 2014 की लोकसभा के सदस्य थे। बेकर कहते हैं, ये सुविधा अगर लोकसभा में नहीं तो कम से कम विधानसभा में जरूर जारी रखनी चाहिए। एंग्लो इंडियन समुदाय पूरे भारत में फैला हुआ है। उनका अगर विधानसभा में प्रतिनिधित्व रहेगा तो वो अपनी आवाज रख सकते हैं। हालांकि इस संदर्भ में कानून मंत्री का बयान देना कि देश में मात्र 296 एंग्लो इंडियन हैं, समझ से परे है।
रिपोर्ट : फैसल फरीद

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