दुनिया की क्रांतियों में कितना खून बहा

Webdunia
शनिवार, 22 जुलाई 2017 (14:51 IST)
क्रांति का मकसद देशों में बदलाव लाना होता है और लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को अधिकार दिलाना। क्रांतियों ने इस के लिए महीनों, सालों और कभी दशकों संघर्ष किया। पर इसकी कीमत अक्सर बहुतों को जान दे कर चुकानी पड़ी।
 
अमेरिकी क्रांति
अमेरिकी क्रांति एक राजनीतिक विरोध की मुहिम थी जिसमें उत्तरी अमेरिकी के 13 उपनिवेश आपस में मिल गए और ब्रिटिश सरकार से आजाद होने और खुद के संयुक्त राज्य अमेरिका होने का एलान कर दिया। अमेरिकी सैन्य क्रांति का नाम दिया गया। करीब 35-75 हजार अमेरिकी और 70 हजार ब्रिटिश मारे गए। 1996 में उसी क्रांति की शुरुआत 'टैक्स प्रोटेस्ट' का दृश्य दिखाते कुछ कलाकार।
 
हैती की क्रांति
1791 की बात है अगस्त के तीसरे हफ़्ते में अचानक सेंट डोमिनिग के दासों ने विद्रोह कर दिया और देश गृहयुद्ध की आंच में जलने लगा। 10 दिन के भीतर ही दासों ने अप्रत्याशित रूप से पूरे उत्तरी प्रांत को अपने कब्जे में ले लिया और गोरे लोगों की ताकत छोटे छोटे हिस्सों में सिमट गई। फ्रांस के विधानमंडल को प्रस्ताव पास करना पड़ा। दासों को आजादी मिली। इस क्रांति में एक लाख काले और 24 हजार श्वेत लोगों की जान गई।
 
फ्रांस की क्रांति
1789 से लेकर 1799 तक का समय यूरोप के लिए भारी बदलाव का था। फ्रांस में राजनीतिक सुधारों की मांग एक क्रांति में बदल गई और राजशाही, कुलीनतंत्र और चर्च की सत्ता इस क्रांति की आंधी में ध्वस्त हो गई। क्रांति के दौरान 1793 से 1794 तक फ्रांस में आतंक युग रहा। इस दौरान 40 हजार लोगों की या तो हत्या की गयी या फिर उन्हें फांसी दे दी गयी। क्रांति के 100 पूरे होने पर एफिल टावर बना था।
 
युवा तुर्क क्रांति
तुर्क युवाओं ने 1908 में सुल्तान अब्दुल हमीद द्वितीय के ऑटोमन संसद को निलंबित करने का फैसला पलट दिया। इस घटना के बाद ही देश में संवैधानिक सरकार की वापसी का रास्ता बना। इस आंदोलन को बुल्गारियाई, अरबी, यहूदी, अर्मेनियाई और ग्रीक लोगों का भी समर्थन मिला और कमाल अतातुर्क के युवा नेतृत्व में तुर्की एक राष्ट्र राज्य बना। इस क्रांति में ज्यादा हिंसा नहीं हुई।
 
क्यूबा की क्रांति
1952 में जनरल फुल्गेनसियो बतिस्ता ने क्यूबा के राष्ट्रपति को बर्खास्त कर दिया और सारे चुनाव रद्द कर दिये। इस घटना ने एक युवा वकील को गुस्से से भर दिया और अगले सात साल तक वह बतिस्ता की सरकार को उखाड़ने के लिए लड़ता रहा।आखिरकार 1959 में कामयाबी मिली, बतिस्ता परास्त हुए और वो युवा वकील देश का प्रधानमंत्री बना। उस वकील का नाम फिदेल कास्त्रो था। इस क्रांति में कम से कम 5 हजार लोगों की जान गई।
 
ईरान की इस्लामिक क्रांति
इस्लामिक क्रांति के दौरान ईरान से पहलवी वंश के शाह मोहम्मद रजा की सत्ता उखाड़ दी गई और क्रांति का नेतृत्व कर रहे अयातोल्लाह खमेनेई के शासन में ईरान इस्लामिक रिपब्लिक बन गया। अगस्त और दिसंबर के बीच हड़ताल और प्रदर्शनों ने देश को शक्तिहीन कर दिया। शाह को देश छोड़ कर जाना पड़ा और अयातोल्लाह खमेनेई ने तेहरान लौट कर देश की बागडोर संभाली। इस दौरान 2700 से ज्यादा लोगों की जान गई।
 
चीन की क्रांति
चीन की क्रांति 1911 से लेकर 1949 तक चली राजनीतिक उठा पटक का एक लंबा दौर है जिसने मंचू वंश की सत्ता खत्म कर देश में कम्युनिस्ट शासन कायम कर दिया। माओत्से तुंग का देश के नेता के रूप में उभार हुआ। चीन की सरकार कभी नहीं बताती कि इस क्रांति में कितने लोगों की जान गई लेकिन दूसरे स्रोतों से मिली जानकारी से पता चलता है कि करीब 15 लाख राष्ट्रवादियों और 2।5 लाख कम्युनिस्टों की इस दौरान मौत हुई।
 
रूस की अक्टूबर क्रांति
अक्टूबर क्रांति 1917 में हुई रूसी क्रांति का ही दूसरा हिस्सा था। पहला हिस्सा उसी साल फरवरी में हो चुका था। अक्टूबर क्रांति के दौरान पेत्रोग्राद में रूसी प्रांतीय सरकार को उखाड़ फेंका और सारे अधिकार स्थानीय सोवियत को सौंप दिये गये जिनमें बोल्शेविकों की प्रमुखता थी। इस क्रांति को पेट्रोग्राद के बाहर नहीं माना गया इसलिए इसका विरोध भी हुआ और नतीजे में गृहयुद्ध छिड़ गया। 700 लोग मरे।
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