बीजेपी के गढ़ गुजरात में कांग्रेस का अधिवेशन

DW

मंगलवार, 8 अप्रैल 2025 (07:57 IST)
आमिर अंसारी
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के अधिवेशन का उद्देश्य अपनी जिला समितियों को संगठन का केंद्र बिंदु बनाकर और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ाई में पार्टी की विचारधारा को अपनी धुरी बनाकर अपने पुनरुद्धार के लिए एक ठोस आधार तैयार करना है।
 
गुजरात में एआईसीसी का अंतिम अधिवेशन 1961 में भावनगर में हुआ था। उससे पहले, सूरत जिले में 1938 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अध्यक्षता में हुए हरिपुरा अधिवेशन में पूर्ण स्वशासन का आह्वान करते हुए "पूर्ण स्वराज" प्रस्ताव पारित करके इतिहास रचा गया था।
 
8 अप्रैल को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी), की सर्वोच्च नीति-निर्धारक संस्था, शाहीबाग के ऐतिहासिक सरदार स्मारक पर सुबह बैठक करेगी। उसके अगले दिन, यानी 9 अप्रैल को राष्ट्रीय अधिवेशन साबरमती नदी के किनारे होगा। इसमें देश भर से आए 3,000 से ज्यादा प्रतिनिधियों के शामिल होने की उम्मीद है।
 
इसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्य अध्यक्ष, सीडब्ल्यूसी सदस्य और विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल होंगे।
 
गुजरात में अधिवेशन क्यों
गुजरात में इस अहम बैठक कर कांग्रेस पार्टी लंबे समय से बीजेपी का गढ़ रहे राज्य में अपनी राजनीतिक ताकत को पुनर्जीवित करना चाहती है। इसी के साथ कांग्रेस अपने जिला समितियों को भी उत्साहित करना चाहती है, जो आने वाले चुनावों को लेकर तैयार रहे।
 
हाल ही में कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व दिल्ली में तीन बैचों में 862 जिला अध्यक्षों से मिल चुका है, जहां उन्हें मिलने वाले 'अभूतपूर्व अधिकार' के बारे में संकेत दिया गया है। जिला अध्यक्षों की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने जिला अध्यक्षों से कहा था कि पार्टी के विचारों और कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाने में उनकी भूमिका अहम है।
 
साल 2025 को संगठनात्मक पुनर्गठन के वर्ष के रूप में पहचान करते हुए, कांग्रेस गुजरात पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हुए आक्रामक रुख अपना रही है, जो महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमि है और जहां से उसके मुख्य प्रतिद्वंद्वी नरेंद्र मोदी आते हैं।
 
गुजरात में कांग्रेस अधिवेशन कर अपने कैडर को यह भी संदेश देना चाहती है कि वह प्रदेश में अपनी पहचान नहीं खोई है और वह मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी से मुकाबले को तैयार है। अधिवेशन के लिए गुजरात के चुनाव पर वरिष्ठ पत्रकार मीनू जैन कहती हैं पिछले 10 साल से केंद्र में मोदी और अमित शाह काबिज हैं और दोनों ही गुजरात से आते हैं और कांग्रेस को वहां अपनी उपस्थिति दिखानी है।
 
जैन ने डीडब्ल्यू हिंदी से कहा, "साल 2022 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के कारण कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका लगा। उस समय कहा जा रहा था कि सत्ता विरोधी लहर इतनी थी कि कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा होना चाहिए, लेकिन वहां कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई और 17 सीटों पर सिमट गई।" बाद में कांग्रेस के पांच विधायक पार्टी को छोड़ कर चले गए और अभी उसके पास 12 विधायक ही हैं।
 
जैन आगे कहती हैं, "दिल्ली में जब से आम आदमी पार्टी बुरी तरह से विधानसभा चुनाव हारी है, उसका असर जरूर गुजरात में भी पड़ेगा है। यही वजह है कि कांग्रेस के जो थिंकटैंक हैं उन्हें लगा होगा कि यही सही समय है कि कांग्रेस को गुजरात में पुर्नजीवित किया जाए।"
 
लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से विपक्ष के नेता राहुल गांधी दो बार गुजरात का दौरा कर चुके हैं। इसी साल मार्च में गुजरात कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि पार्टी में ऐसे कई लोग हैं जिनका जनता से संपर्क टूट गया है और वे बीजेपी से मिले हुए हैं, ऐसे लोगों को पार्टी से निकाल देना चाहिए।
 
जैन कहती हैं, "गुजरात के ग्रामीण इलाकों में आज भी कांग्रेस का प्रभाव है और प्रदेश में ऐसे भी नेता हैं जिनको ईडी, सीबीआई या अन्य जांच एजेंसियों का डर नहीं है और वे पार्टी के लिए काम करते हैं। और मुझे लगता है कि पार्टी ऐसे लोगों को आगे लाना चाहती जिनको किसी चीज का डर नहीं है।"
 
इंडिया गठबंधन का क्या होगा
लोकसभा चुनाव के बाद से इंडिया गठबंधन लगभग निष्क्रिय हो चुका है। अब यह गठबंधन तभी नजर आता है जब संसद में सरकार को घेरने के लिए कोई मुद्दा मिलता है। इस अधिवेशन से इस बात का भी संकेत मिलेगा कि क्या कांग्रेस गठबंधन को बचाने की कोशिश करेगी या अपने संगठन को मजबूत बनाने की कोशिश करेगी। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक युसूफ अंसारी कहते हैं इस अधिवेशन में कांग्रेस अपनी सभी चुनौतियों पर विचार करेगी। उन्होंने कहा, "एक अहम मुद्दा होगा कि कांग्रेस आने वाले वर्षों में विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव को लेकर क्या रणनीति अपनाती है।"
 
डीडब्ल्यू से अंसारी कहते हैं, "कांग्रेस में एक बड़ा तबका है जो यह चाहता है कि कांग्रेस को अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ने पर ध्यान देना चाहिए। लेकिन ज्यादातर बड़े नेताओं का मानना है कि यह गठबंधन की राजनीति का दौर है इसलिए गठबंधन को ही लेकर कांग्रेस को चलना चाहिए। इस मुद्दे पर अधिवेशन में खुलकर बहस होगी और आगे का रास्ता निकालना पर मंथन होगा।"
 
साथ ही अंसारी का कहना है कि कांग्रेस पहले भी कह चुकी है कि इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए था। उन्होंने कहा, "विधानसभा चुनावों से इसका कोई ताल्लुक नहीं है। लोकसभा चुनाव को अभी बहुत समय है लिहाजा मुझे नहीं लगता कि अभी कांग्रेस इंडिया गठबंधन पर कोई राय कायम करेगी।"

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