कोलकाताः अनहद कोलकाता द्वारा आयोजित 'कविताई की शाम' कार्यक्रम ने काव्य-रसिकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से आये कवियों ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता लखनऊ से पधारे प्रोफेसर नलिन रंजन सिंह ने करते हुए कविताओं की ऐतिहासिक भूमिका पर प्रकाश डाला और अपनी कविताओं से भी लोगों को भाव विभोर कर दिया।
स्वागत भाषण संस्थान के संस्थापक विमलेश त्रिपाठी ने दिया। कार्यक्रम में बाँदा से आये केशव तिवारी ने अपनी प्रेम कविताओं से श्रोताओं को न केवल भावुक बनाया वरन 'कोलकाता' कविता पढ़कर अपनी गंभीरता भी दर्ज की। कवि एवं वैज्ञानिक गद्यकार डॉ सुनील कुमार शर्मा ने 'क्या करूँ' का पाठ कर कवि की प्रतिबद्धता सिद्ध की। वहीं, मशहूर शायर कर्नल गौतम राजऋषि ने अपनी ग़ज़लों से ऐसी समां बांधा कि श्रोताओं की ओर से इरशाद- इरशाद की आवाज़ गूंज उठी। डॉ. अभिज्ञात ने गजलों से महफ़िल लूट ली। जगदलपुर से आये कवि विजय सिंह ने अपनी कविताओं में जंगल और जमीन की बात उठाई। वरिष्ठ कवि शैलेंद्र शांत जी ने अपनी कविता किल्लत का पाठ किया, जिसकी बहुत सराहना हुई।
ग़ज़लकार रचना सरन ने अपने गज़लों से मोहित किया। कवि महेश सिंह ने अपनी कविताओं से शासन के विरुद्ध आवाज़ बुलंद की। शैलेन्द्र कुमार शुक्ल ने अपनी कविता हिंदी 'कविता का संक्षिप्त इतिहास' सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। अगले कवि लक्ष्मी कांत मुकुल ने अपनी लोक चेतना की कविताओं से सभी को प्रभावित किया। पूनम सोनछात्रा ने पिता के लिए का पाठ कर शाम को संवेदनशील बना दिया। युवा कवि संजय रॉय ने अपनी कविताओं से माहौल को गंभीर बनाया तो बेहद चर्चित कवि निशांत ने अपनी कविताओं पर खूब तालियां बटोरीं।
चौथे मनीषा त्रिपाठी स्मृति अनहद कोलकाता सम्मान की घोषणा केशव तिवारी ने किया और सम्मानित कवि डॉ सुनील कुमार शर्मा की रचना और प्रतिबद्धता के पक्ष में अपनी बातें रखीं। विमलेश त्रिपाठी ने सम्मान समारोह के जनवरी या फरवरी में किये जाने की घोषणा की। आदित्य विक्रम सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। पटना की ज्योति दुबे, सीए राजेश प्रसाद सहित कार्यक्रम में कोलकाता से ढेर सारे साहित्यकार व गणमान्य लोग उपस्थित थे।