व्यंग्यकार किसी की आरती नहीं करता- जनवादी लेखक संघ, इन्दौर के 137 वें मासिक रचना पाठ में 21 फरवरी 2025 को वरिष्ठ व्यंग्यकार जवाहर चौधरी ने इस बात को रेखांकित किया। यह कार्यक्रम फेसबुक लाइव के माध्यम से आयोजित किया गया था जिसमें आशीष दशोत्तर ने अपनी तीन व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया। कार्यक्रम की शुरुआत में देवेन्द्र रिनवा ने आशीष दशोत्तर का परिचय देते हुए कहा कि कई पुस्तकों के रचियेता और अनेक सम्मानों के साथ आशीष एक विविध विधाओं में लिखते हैं जिनमें गज़ल से लेकर, व्यंग्य और कहानी तक सम्मिलित हैं।
इसके बाद आशीष ने अपनी तीन व्यंग्य रचनाएं पढ़ी- थाली में छेद और जांच के भेद, बड़ा आदमी और श्री वंचित का दर्द। रचना पाठ के बाद प्रदीप मिश्र ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि व्यंग्य के लिए भाषा एक महत्वपूर्ण पक्ष है। आशीष के पास छोटे छोटे वाक्यों में बड़ी बड़ी बातें आती हैं। वे आम आदमी के नैसर्गिक मूल्यों को तो रेखांकित करते ही हैं, साथ में समाज में फैलती आत्मश्लाघा को भी रेखांकित होते हैं। सुरेश उपाध्याय ने कहा कि आशीष अपने व्यंग्य में आम आदमी की भावनाओं को उभारने में सफल हैं।
विशिष्ट टिपण्णी करते हुए जवाहर चौधरी ने कहा कि व्यंग्यकार किसी की आरती नहीं कर सकता और यदि वह व्यवस्था के प्रति नाराज़ नहीं हो सकता तो व्यंग्य नहीं लिख सकता। उन्होंने कहा कि आशीष के पास व्यंग्य के लिए भाषा है जिसमें वे छोटे छोटे वाक्यों में बहुत बढ़िया बिम्बों से अपनी बात को अभिव्यक्त करने में सफल हैं। इन रचनाओं की धार पैनी है और जो कहना चाहती हैं वहा संप्रेषित होता है। एक तरफ थाली में छेद और जाँच के भेद एक राजनैतिक चोट करते हैं तो बड़ा आदमी में आदमी चालाकियों को उभारते हैं। श्री वंचित का दर्द में वे आम आदमी के दर्द को ले आते हैं। कुल मिलाकर ये तीनों व्यंग्य हमारे समय और समाज को अभिव्यक्त करते हैं।
इस कार्यक्रम में गाज़ियाबाद से सुपरिचित कवि अरुण आदित्य, भोपाल से प्रसिद्द कवि अनिल करमेले, नीमच से प्रियंका कविश्वर, इन्दौर से पत्रकार रविन्द्र व्यास, देवेन्द्र सिन्नरकर, पुणे से चित्रकार जया पाटिल सहित कई एनी लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन किया प्रदीप कान्त और आभार किया देवेन्द्र रिणवा ने।