इंदौर। अटल जी साहित्य और राजनीति के विलक्षण संगम थे। उनके भाषण और कविताओं से उनकी संवेदनशीलता का परिचय मिलता है। पं. मालवीय प्रथम और अंतिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की उपाधि से विभूषित किया गया। वामा साहित्य मंच की दिसम्बर माह की बैठक में पुणे से पधारी साहित्यकार जया सरकार ने राजनीति के दो महान हस्ताक्षर और भारत रत्न से सम्मानित विभूतियों पर विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि आज जब पूरी दुनिया क्रिसमस मना रही है तब वामा सखियों का बौद्धिक समर्पण है कि वे महामना और अटल जी के प्रति एक पूरा आयोजन कर रही हैं। उन्होंने बताया कि कैसे पुणे में वे वामा साहित्य मंच की शाखा संचालित कर रही हैं।
वामा साहित्य मंच की सदस्यों ने भी दोनों नामचीन शख्सियतों के व्यक्तित्व और कृतित्व के साथ उनकी रचनाओं और संस्मरण का पाठ किया।
मंच की इस माह की बैठक श्री अटलबिहारी वाजपेयी एवं पं. मदनमोहन मालवीय की स्मृति को समर्पित रही। जिसमें रुपाली पाटनी ने अटल जी की कविताओं से नज़र आता उनका व्यक्तित्व विषय पर विचार रखे, तो स्मृति आदित्य ने अटल जी को प्रिय प्रेरक रचना का पाठ किया।
अंजना चक्रपाणि मिश्र ने महामना मालवीय जी पर शब्दपुष्प अर्पित किए, वहीं शारदा मंडलोई ने भी मालवीय जी के कृतित्व पर प्रकाश डाला, प्रतिभा जोशी ने मालवीय जी के जीवन चरित्र का बखान किया तथा अनिता जोशी ने अटल जी की ओजपूर्ण रचनाओं का वाचन किया।
अध्यक्ष इंदु पाराशर ने स्वागत भाषण के उपरांत अटल जी कविता पढ़ीं। आशा गर्ग और विनिता चौहान ने भी वाजपेयी जी की रचना सुनाई। निरुपमा त्रिवेदी ने अटल जी का कवि मन पर रचना प्रस्तुत की जबकि प्रतिभा जैन, मंजु मिश्रा ने मालवीय जी को भावांजलि दी। करुणा प्रजापति, डॉ. गरिमा दुबे एवं प्रीति दुबे ने भी सरस और मार्मिक रचनाएं पढ़ीं।
इस आयोजन की संयोजक उपाध्यक्ष वैजयंती दाते थीं। संचालन अनुपमा गुप्ता ने किया तथा सरस्वती वंदना विभा भटोरे ने प्रस्तुत की। आभार सचिव डॉ. शोभा प्रजापति ने माना. स्वागत उपाध्यक्ष ज्योति जैन और निरुपमा नागर ने किया।