अगर साबुन से हाथ धो रहे हो, तो जिंदा हो तुम... हिंदी फिल्मों के इन डायलॉग्स में छिपे हैं ‘कोरोना’ से बचने के ‘राज’
शनिवार, 3 अक्टूबर 2020 (13:58 IST)
मुद्दा चाहे कितना भी गंभीर क्यों न हो, सोशल मीडिया में उसका मजाक बनाने वालों या उसे लेकर ह्यूमर बनाने वालों की कमी नहीं है। चाहे किसी को ट्रोल करना हो या किसी विषय को हंसी मजाक में बदलना हो। चाहे व्हाट्सएप्प हो, फेसबुक या ट्विटर। आपको ऐसे व्यंग्य देखने को मिल जाएंगे!
अब सोशल मीडिया में कोरोना को लेकर बेहद दिलचस्प जोक बनाए जा रहे हैं। कोरोना और बॉलीवुड फिल्मों के डायलॉग का कॉकटेल बनाकर मजेदार पंक्तियां सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं। जिन्हें बेहद पसंद किया जा रहा है। अच्छी बात यह है कि इन जोक्स में कोरोना को लेकर अच्छे संदेश भी छुपे हुए हैं।
आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही मजेदार लाइन्स के बारे में जिन्हें पढ़कर आपको हंसी आ जाएगी।
अगर बॉलीवुड की फिल्में "कोरोना" पर बनती तो कैसे डायलॉग्स होते?
शोले ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर की तर्ज पर कहा जाता, ये मास्क मुझे दे दे, ठाकुर।
फिल्म दीवार का ये डायलॉग काफी लोकप्रिय हुआ था। जिसमें अमिताभ बच्चन शशि कपूर से कहते हैं। मेरे पास सबकुछ है, तुम्हारे पास क्या है। इस तर्ज पर लोगों ने बना दिया।
‘मेरे पास मास्क है, सेनिटाईजर है, एन्श्योरेंस है, बेंक बैलेन्स है, तुम्हारे पास क्या है? मेरे पास कोरोना वैक्सीन है।
दीवार के ही एक डायलॉग ‘मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता’ को कुछ यूं बयां किया जा रहा है आजकल।
मैं आज भी लोगों से हाथ नहीं मिलाता।
एक डॉयलॉग को यूं कहा जा रहा है। जाओ,पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ जिसने बिना मास्क के पब्लिक में छींक दिया था।
दबंग का डायलॉग है। थप्पड़ से डर नहीं लगता साहब, प्यार से लगता है।
लॉकडाउन से डर नहीं लगता साहब, कोविड से लगता है।
कुछ कुछ होता है- फेफड़ों में कुछ-कुछ होता है अंजलि, तुम नहीं समझोगी।
बाजीराव मस्तानी फिल्म के एक डॉयलॉग को ऐसे कहा जा रहा है।
अगर आपने हमसे हमारा सेनिटाईजर मांगा होता तो हम खुशी-खुशी दे देते, मगर आपने तो मास्क ना पहनकर हमारा गुरूर ही तोड़ दिया।
डॉन
कोरोना की वैक्सीन तो ग्यारह मुल्कों की डॉक्टर्स ढूंढ रही है, पर वक्क्सीन ढूंढना मुश्किल ही नही, नामुमकिन है!
देवदास कौन कमबख्त है जो बर्दाश्त करने के लिए पीता है? हम तो इसलिए पीते हैं कि देश की इकोनॉमी ऊपर उठा सकें, लॉकडाउन को बर्दाश्त कर सकें!
जिंदगी ना मिलेगी दोबारा फिल्म की इन पंक्तियों को कुछ ऐसे बदल दिया लोगों ने।
अगर साबुन से हाथ धो रहे हो, तो जिंदा हो तुम।
अगर चेहरे पे मास्क लगाकर घूम रहे हो तो जिंदा हो तुम।
अगर सोश्यल डिस्टन्सिंग फोलो कर रहे हो तो जिंदा हो तुम।
अगर बार-बार चेहरे पर हाथ नहीं लगा रहे तो जिंदा हो तुम।
अगर घर में झाडू, पोछा, बरतन कर रहे हो तो जिंदा हो तुम।
दामिनी
तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख! हमेशा अगले लॉकडाउन की तारीख ही मिलती रही है मिलोर्ड, पर नहीं मिली तो लॉकडाउन की आखिरी तारीख!
मैंने प्यार किया
क्वेरन्टाईन का एक उसूल है मैडम- नो मिटींग, नो गोईंग आऊट।
ओम शांति ओम -
अगर कोरोना के नए केस आने बंद नही हुए तो समझ लो कि लॉकडाउन अभी बाकी है मेरे दोस्त।
मुगल-ए-आजम-
सोशल डिस्टेन्सिंग तुम्हें मरने नहीं देगा और लॉकडाउन तुम्हें जीने नहीं देगा।
पाकीज़ा- आपके पांव देखे, बहुत हसीन हैं। इन्हें घर पर ही रखिएगा वरना कोरोना हो जाएगा।