आप सभी इस बात से परिचित होंगे की भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। लोहड़ी (Lohri 2023) उन सभी त्योहारों में से एक है और यह उत्तर भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार आमतौर पर मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है साथ ही मकर संक्रांति (Makar Sankranti) की पूर्व संध्या पर इस त्योहार का उल्लास रहता है। रात्रि में लोग खुले स्थान पर परिवार और अपने आस-पड़ोस के लोग मिलकर आग के किनारे घेरा बनाकर बैठते हैं। खासतौर पर यह त्योहार पंजाबी लोगों का प्रमुख त्योहार माना जाता है। लोहड़ी का त्योहार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
कैसे मानते हैं लोहड़ी का त्योहार
सभी लोग इस पर्व को नाचते गाते और हंसी-ख़ुशी से मानते हैं। शाम के समय में आग जला कर उसकी परिक्रमा करते हैं। सभी माताएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर लोहड़ी की अग्नि की चक्कर लगाती हैं और अग्नि में मूंगफली, रेवड़ी, मेवे, गज्जक, पॉपकॉर्न आदि की आहुति देते हैं। ऐसा माना जाता है कि लोहड़ी के चक्कर लगाने से बच्चे को किसी की नजर नहीं लगती। किसानों द्वारा अपनी नई फसल का आहुति दी जाती है तथा प्रसाद के रूप में सभी लोगों में रेवड़ी, मूंगफली, गज्जक बांटी जाती है।
लोहड़ी है नव वर्ष का त्योहार
लोहड़ी को पंजाब प्रांत में किसान नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। लोहड़ी में रबी की फसलें काटकर घरों में आती हैं और उसका ही जश्न मनाया जाता हैं। किसानों का जीवन इन्हीं फसलों के उत्पादन पर निर्भर करता हैं और जब किसी मौसम के फसलें घरों में आती हैं तो हर्षोल्लास से उत्सव मनाया जाता हैं। लोहड़ी में खासतौर पर इन दिनों गन्ने की फसल बोई जाती हैं और पुरानी फसल काटी जाती हैं। इन दिनों मुली की फसल भी आती हैं और खेतों में सरसों भी आती हैं। इसे ठंड की बिदाई का त्योहार भी माना जाता है।
लोहड़ी मनाने की विधि
इस त्योहार में आग के ढेर पर अनेक वस्तुएं डाली जाती हैं, उनमें तिल, गुड़ और रेवड़ियां प्रमुख होती हैं। कुछ लोग गायत्री मंत्र पढ़कर आहुतियां देते हैं। फिर अग्नि की परिक्रमा करते हैं। सब लोग मिलकर रेवड़ियां खाते हैं और ढोल बजता है भांगड़ा डांस किया जाता है। जिनके घर बच्चे जन्म लिए होते हैं। वहां लोहड़ी का त्योहार बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
आज के समय में लोहड़ी
बदलते दौर के साथ लोहड़ी का त्योहार भी आधुनिक हो गया है। पहले के समय में लोग उपहार देने के लिए गुड़ और तिल का इस्तेमाल करते थे। आधुनिक दौर में लोग गुड़ तिल से बनी मिठाइयों की जगह केक और चॉकलेट जैसे उपहार देना शुरू कर दिए हैं। साथ ही वातावरण में बढ़ रहे प्रदूषण के कारण, लोग लोहड़ी मनाते समय पर्यावरण संरक्षण की सुरक्षा के बारे में अत्यधिक जागरूक और बहुत सचेत हो गए हैं। अलाव जलाने के लिए बहुत वृक्ष काटने के बजाय वृक्षारोपण कर के नए तरीके से लोहड़ी के त्योहार का आनंद लेते हैं।
लोहड़ी के गीत का भी है अपना खास महत्व
लोहड़ी में गीतों का बहुत ही बड़ा महत्व है। इन गीतों से लोगों के जहन में एक नई ऊर्जा एवं ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है। गीत गाने के साथ-साथ नृत्य करके इस पर्व को मनाया जाता है। इन सांस्कृतिक लोक गीतों में खुशहाल फसलों आदि के बारे में वर्णन किया जाता है।