समीकरण बदलते ही रिश्ते भी बदल जाते हैं राजनीति में...
पटना। राजनीति में दोस्ती स्थाई नहीं होती और समीकरण बदलते ही दोस्त, दुश्मन बन जाते हैं। ऐसा ही नजारा इस बार के लोकसभा चुनाव में बिहार की कुछ सीटों पर देखा जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने 2014 का चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल के रूप में मिलकर लड़ा था। भाजपा ने 30, लोजपा ने 7 और रालोसपा ने 3 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें भाजपा ने 22, लोजपा ने 6 और रालोसपा ने 3 सीटों पर जीत हासिल की।
वहीं जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने 38 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे जबकि दो सीट बांका और बेगूसराय पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। जदयू को महज दो सीट पर जीत हासिल हुई। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। राजद ने 27, कांग्रेस ने 12 और राकांपा ने एक उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे। इनमें राजद को चार, कांग्रेस को दो और राकांपा को एक सीट पर जीत मिली।
वहीं इस बार के लोकसभा चुनाव के समीकरण काफी बदल गए हैं। उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा राजग से टिकट बंटवारे में मतभेद के बाद महागठबंधन में शामिल हो गई वहीं जदयू ने फिर राजग से नाता जोड़ लिया। राजग की घटक भाजपा 17, जदयू 17 और लोजपा छह सीट पर चुनाव लड़ रही है। वहीं महागठबंधन में राजद 20, कांग्रेस नौ, रालोसपा पांच, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) तीन और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के खाते में तीन सीट गई है। राजद ने अपनी एक आरा सीट कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के लिए छोड़ दी है।
इस लोकसभा चुनाव में कुछ सीटें ऐसी हैं जहां पिछली बार गठबंधन कर चुनाव लड़ रहे राजनीतिक दल इस बार पूर्ण रूप से विरोधी के रूप में नजर आ रहे हैं। इस बार के चुनाव में सबसे बड़ा उलटफेर भाजपा, रालोसपा और लोजपा के बीच हुआ है। रालोसपा ने पिछले चुनाव में जहां भाजपा और लोजपा की मदद से तीन सीट सीतामढ़ी, काराकाट और जहांनाबाद पर चुनाव लड़ा और तीनों सीटें जीतीं। इस बार रालोसपा पांच सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इनमें तीन सीटों पर रालोसपा की सीधी टक्कर 2014 के पुरानी साथी रही भाजपा और एक सीट पर लोजपा से है। वहीं एक सीट पर रालोसपा और जदयू में टक्कर है। रालोसपा की भाजपा और लोजपा से दोस्ती इस बार दुश्मनी में तब्दील हो गई है वहीं राजद और कांग्रेस से उसकी दुश्मनी, दोस्ती में बदल गई है।
रालोसपा इस चुनाव में पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, उजियारपुर, काराकाट और जमुई (सुरक्षित) पर चुनाव लड़ रही है। पश्चिम चंपारण से रालोसपा के टिकट पर ब्रजेश कुमार कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं जहां उनकी टक्कर भाजपा के निवर्तमान सांसद डॉ. संजय जायसवाल से होगी। पूर्वी चंपारण सीट पर कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के पुत्र आकाश कुमार सिंह रालोसपा के टिकट पर चुनावी रण में उतर रहे हैं, जिनका मुकाबला भाजपा के दिग्गज नेता और केन्द्रीय मंत्री राधामोहन सिंह से होगा। पश्चिम चंपारण और पूर्वी चंपारण में छठे चरण के तहत 12 मई को मतदान कराए जाएंगे।
रालोसपा सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा उजियारपुर और काराकाट दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। उजियारपुर सीट पर जहां उनका मुकाबला भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं निवर्तमान सांसद नित्यानंद राय से होगा वहीं काराकाट सीट पर उनकी टक्कर जदयू उम्मीदवार एवं पूर्व सांसद महाबली सिंह से है। उजियारपुर सीट पर चौथे चरण में 29 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे, वहीं काराकाट सीट पर सातवें तथा अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होगा। जमुई (सु) सीट पर रालोसपा के टिकट पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद भूदेव चौधरी की टक्कर लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के पुत्र और वर्तमान सासंद चिराग पासवान से हो रही है। इस सीट पर प्रथम चरण के तहत 11 अप्रैल को मतदान संपन्न हो चुका है।
कटिहार सीट पर भी इस बार समीकरण बदल गए हैं। वर्तमान सांसद तारिक अनवर इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में तारिक अनवर ने राकांपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और भाजपा के निखिल कुमार चौधरी को एक लाख 14 हजार 740 मतों के अंतर से पराजित किया। इस बार के चुनाव में राकांपा ने फिर इस सीट पर अपना प्रत्याशी उतार दिया है।
राकांपा के टिकट पर पूर्व विधायक मोहम्मद शकूर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं बिहार सरकार में पूर्व मंत्री दुलालचंद गोस्वामी इस सीट पर जदयू के प्रत्याशी बनाए गए हैं। कटिहार सीट पर दूसरे चरण के तहत 18 अप्रैल को मतदान होगा। देखना दिलचस्प होगा कि दोस्ती और दुश्मनी के इस खेल में रालोसपा को महागठबंधन से दोस्ती और राजग से दुश्मनी कितनी रास आती है।