चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार इसके अलावा मुख्य विपक्षी पार्टी का मत प्रतिशत उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और आंध्रप्रदेश जैसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्यों में केवल 1 ही अंक में बना रहा।
भाजपा का 1984 में मत प्रतिशत 7.74 फीसदी था और उस समय उसे लोकसभा की केवल 2 सीटें मिली थीं, इसके बाद से उसके मत प्रतिशत में लगातार सुधार देखा गया है। वर्ष 1998 में (25.59 प्रतिशत) और इसके बाद हुए 3 लगातार राष्ट्रीय चुनावों में 2009 तक (18.8 प्रतिशत) रहा। वर्ष 2014 में उसका मत प्रतिशत फिर बढ़ा।
2019 के चुनावों के लिए राज्यवार प्रारंभिक आंकड़े में कांग्रेस का मत प्रतिशत उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल में लगभग 6 प्रतिशत रहा और बिहार में थोड़ा-सा अधिक लगभग 7 प्रतिशत रहा। आंध्रप्रदेश और सिक्किम में कांग्रेस का मत प्रतिशत बहुत ही खराब लगभग 1 प्रतिशत रहा। पंजाब में कांग्रेस ने कुछ अच्छा प्रदर्शन किया। कांग्रेस का मत प्रतिशत पंजाब में लगभग 40 प्रतिशत रहा जबकि पुडुचेरी में लगभग 57 प्रतिशत रहा।
कांग्रेस की तुलना में भाजपा का मत प्रतिशत उत्तरप्रदेश में 50 फीसदी के आसपास रहा जबकि हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, गुजरात, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, दिल्ली, चंडीगढ़ और अरुणाचल प्रदेश में 50 प्रतिशत से अधिक रहा।
पश्चिम बंगाल में भी भाजपा ने 40 प्रतिशत के आसपास मत हासिल किए और जम्मू-कश्मीर में उसका मत प्रतिशत लगभग 46 प्रतिशत रहा। उन राज्यों में जहां भाजपा ने गठबंधन में चुनाव लड़ा, उनमें से पंजाब में भाजपा का मत प्रतिशत 10 फीसदी, महाराष्ट्र में 27 फीसदी, असम में 35 प्रतिशत, बिहार में 24 प्रतिशत और तमिलनाडु में 3.34 प्रतिशत रहा।