लोकसभा चुनाव 2019 : सुमित्रा-सुषमा नहीं दिखेंगी इस बार संसद में, दिग्गी 15 साल बाद मैदान में

सोमवार, 22 अप्रैल 2019 (21:14 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अपने प्रत्याशी घोषित करने के बाद अब ये स्पष्ट हो गया है कि इस बार संसद में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जैसे कद्दावर चेहरे नहीं दिखाई देंगे।
 
भाजपा ने इस बार महाजन के स्थान पर अपना गढ़ कही जाने वाली सीट इंदौर से इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष शंकर लालवानी को मैदान में उतारा है। लालवानी का मुकाबला कांग्रेस के पंकज संघवी से होगा। महाजन के चुनाव लड़ने से इंकार के बाद इस सीट पर भाजपा को अपना प्रत्याशी तय करने में लंबा समय लगा।
 
भाजपा के ही दूसरे गढ़ विदिशा में सुषमा स्वराज के उत्तराधिकारी के तौर पर पार्टी ने अपेक्स बैंक के पूर्व अध्यक्ष रमाकांत भार्गव पर भरोसा जताया है। सुषमा स्वराज भी लोकसभा चुनावों की घोषणा के पहले ही चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर चुकीं थीं। ऐसे में इस सीट पर भी पार्टी ने लंबी कवायद के बाद भार्गव के नाम के तौर पर अपने पत्ते खोले। उनका मुकाबला कांग्रेस के पूर्व विधायक शैलेंद्र पटेल से है।
 
प्रदेश का भोपाल संसदीय क्षेत्र इस बार अपने रोचक मुकाबले के चलते देश के उन चुनिंदा संसदीय क्षेत्रों में शामिल हो गया है जिस पर 23 मई को मतगणना के दिन पूरे देश की नजरें रहेंगी। यहां से कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को चुनावी मैदान में उतार दिया है।
 
वर्ष 2003 में प्रदेश से कांग्रेस की विदाई के बाद से सिंह पहली बार चुनावी राजनीति में उतर रहे हैं। उनका सामना देशभर में 'हिन्दुत्व' के चेहरे के तौर पर उभरीं मालेगांव विस्फोट में कानूनी प्रक्रिया का सामना कर चुकीं भाजपा की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से है, हालांकि साध्वी प्रज्ञा अपने बयानों के चलते खुद को प्रत्याशी घोषित किए जाने के दिन से ही सुर्खियों में बनी हुई हैं।
 
मुख्यमंत्री कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा पर कांग्रेस की ओर से कमलनाथ की राजनीतिक विरासत उनके पुत्र नकुलनाथ को सौंपी गई है। नकुलनाथ के सम्मुख भाजपा ने इस सामान्य सीट पर आदिवासी नेता और पूर्व विधायक नत्थन शाह को उतारा है। छिंदवाड़ा से सटे जबलपुर संसदीय क्षेत्र पर दोनों दलों के 2 दिग्गज आमने-सामने हैं। यहां पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राकेश सिंह और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं।
 
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की सीट इस बार भाजपा ने बदलकर उन्हें चंबल संभाग के मुरैना संसदीय क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया है। इसके पहले वे ग्वालियर से सांसद थे। मुरैना संसदीय सीट पर उनका सामना कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री रामनिवास रावत से होने से यह सीट भी कड़े मुकाबले की साक्षी बनने वाली है।
 
मुरैना से सटे भिंड में कांग्रेस ने अपने सबसे कम उम्र के प्रत्याशी देवाशीष जरारिया (28) को उतारा है। महज कुछ महीने पहले बहुजन समाज पार्टी का साथ छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए जरारिया को हालांकि यहां से विरोध का सामना करना पड रहा है। उनका मुकाबला भाजपा की संध्या राय से होगा।
 
सिंधिया राजघराने के गढ़ गुना-शिवपुरी पर कांग्रेस इस बार फिर पार्टी महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के सहारे चुनावी मैदान में है। उनके समक्ष भाजपा के डॉ. केपी यादव हैं, वहीं ग्वालियर सीट पर भाजपा के विवेक शेजवलकर कांग्रेस के अशोक सिंह के सामने होंगे। ग्वालियर सीट पर लंबे समय तक सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया के चुनाव मैदान में उतरने की अटकलें रहीं लेकिन अंत में पार्टी ने सिंह पर भरोसा जताया।
 
बुंदेलखंड की सीटों सागर, दमोह, टीकमगढ़ और खजुराहो पर भी इस बार मुकाबला बेहद रोचक होने वाला है। लंबे समय से भाजपा के गढ़ खजुराहो पर पार्टी ने एक बार फिर 'बाहरी' कहे जा रहे बीडी शर्मा पर दांव खेला है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से नागेंद्र सिंह को उतारा था जिन्हें इस बार सतना के नागौद से विधानसभा चुनाव में जीत के कारण दोबारा चेहरा नहीं बनाया गया। कांग्रेस खजुराहो से कविता सिंह के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है, जो इसी संसदीय क्षेत्र की राजनगर विधानसभा से विधायक रह चुके विक्रम सिंह नातीराजा की पत्नी हैं।
 
टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र पर केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक का सामना चुनावी दंगल में कांग्रेस की किरण अहिरवार से है। दमोह संसदीय क्षेत्र पर पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और पूर्व विधायक प्रताप सिंह लोधी आमने-सामने हैं,
वहीं सागर संसदीय क्षेत्र पर भाजपा ने 2 बार के सांसद लक्ष्मीनारायण यादव को फिर से मौका नहीं देकर नगर निगम अध्यक्ष राजबहादुर सिंह पर दांव लगाया है। सिंह पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह के करीबी माने जाते हैं। उनका सामना कांग्रेस के पूर्व मंत्री और बुंदेलखंड के दिग्गज कांग्रेस नेता प्रभु सिंह ठाकुर से हो रहा है।
 
बघेलखंड क्षेत्र के संसदीय क्षेत्रों सीधी और रीवा में भी इस बार कांटे का मुकाबला होने की संभावना है। सीधी में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भाजपा की मौजूदा सांसद रीति पाठक को चुनौती देंगे,
वहीं ब्राह्मण बहुल क्षेत्र रीवा में कांग्रेस के सिद्धार्थ तिवारी मौजूदा सांसद जनार्दन मिश्रा को टक्कर देंगे।
 
कांग्रेस ने यहां से बेहद युवा चेहरे सिद्धार्थ तिवारी को मौका देकर सबको चौंका दिया है। तिवारी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष निवास तिवारी के पोते और पूर्व विधायक सुंदरलाल तिवारी के बेटे हैं। पूर्व विधायक सुंदरलाल तिवारी का पिछले दिनों अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन के कुछ ही दिन बाद उनके बेटे को यहां से लोकसभा प्रत्याशी बनाए जाने पर पार्टी पर सहानुभूति वोट पाने के प्रयासों का भी आरोप लग रहा है।
 
सतना संसदीय सीट पर कांग्रेस के राजाराम त्रिपाठी का सामना भाजपा के मौजूदा सांसद गणेश सिंह से होगा।
आदिवासी बहुल शहडोल संसदीय क्षेत्र पर दोनों दल दलबदलुओं के भरोसे अपनी नैया पार लगाने के प्रयास में हैं। कांग्रेस ने यहां से प्रमिला सिंह को उतारा है। सिंह पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से टिकट नहीं मिलने के कारण भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गई थीं।
 
भाजपा की प्रत्याशी हिमाद्री सिंह इस क्षेत्र से कद्दावर कांग्रेस नेता और सांसद रहे स्व. दलबीर सिंह और राजेश नंदिनी की बेटी हैं। हिमाद्री सिंह के पिछले साल भाजपा के इस क्षेत्र के युवा नेता नरेन्द्र मरावी से ब्याह कर लेने के बाद से हिमाद्री सिंह के भाजपा में जाने या नरेन्द्र मरावी के कांग्रेस में जाने की अटकलें लगाई जा रहीं थीं। इसका पटाक्षेप हिमाद्री सिंह के भाजपा में आने से हुआ जिसके कुछ ही घंटों के भीतर पार्टी ने उन्हें इस संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित कर दिया।
 
मंडला लोकसभा क्षेत्र पर भाजपा फिर से पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के सहारे है। उनका सामना कांग्रेस के कमल मरावी से होगा, वहीं बालाघाट एकमात्र ऐसी सीट हैं, जहां से टिकट काटे जाने से नाराज भाजपा के बागी मौजूदा सांसद बोधसिंह भगत निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं।
 
भाजपा ने यहां से इस बार ढालसिंह बिसेन को अपना प्रत्याशी बनाया जिससे नाराज होकर भगत चुनाव मैदान में कूद पड़े। हालांकि इसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया। समझा जा रहा है कि भाजपा की इस बगावत का फायदा कांग्रेस प्रत्याशी मधु भगत को पहुंच सकता है।
 
होशंगाबाद सीट पर भाजपा ने खासे विरोध के बाद भी मौजूदा सांसद राव उदय प्रताप सिंह को ही दोबारा मौका दिया है। यहां उनका मुकाबला कांग्रेस के शैलेंद्र दीवान से होगा। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की परंपरागत सीट राजगढ़ पर पार्टी पहली बार किसी महिला प्रत्याशी के तौर पर सिंह की करीबी माने जाने वाली मोना सुस्तानी मैदान में लाई गई हैं। भाजपा ने यहां से दोबारा मौजूदा सांसद रोडमल नागर को ही उतारा है।
 
देवास सीट पर दोनों ही दलों ने नए नामों के तौर पर अपने पत्ते खोलकर सबको अचंभित कर दिया। देवास सीट पर भाजपा ने संघ की पसंद कहे जा रहे महेंद्र सिंह सोलंकी पर दांव खेला तो वहीं कांग्रेस ने पद्मश्री प्रहलाद टिपानिया को अपना प्रत्याशी बनाया। देवास से सटे उज्जैन संसदीय क्षेत्र पर भाजपा ने विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देख चुके अनिल फिरोजिया पर भरोसा जताया। कांग्रेस ने यहां से बाबूलाल मालवीय को उतारकर दोबारा मौका दिया है।
 
कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली गुजरात की सीमा से सटी रतलाम-झाबुआ सीट इस बार अपने कब्जे में लेने के लिए भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक जीएस डामोर को चुनावी मैदान में उतार दिया है। पार्टी को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. विक्रांत भूरिया को पटखनी देने वाले डामोर अब उनके पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को इस सीट पर हरा कर इसे भाजपा की झोली में डालेंगे।
 
किसान आंदोलन से देशभर में सुर्खियों में आई मंदसौर सीट पर भाजपा फिर एक बार मौजूदा सांसद सुधीर गुप्ता के सहारे ही चुनावी वैतरणी पार करने के फेर में है। यहां से कांग्रेस ने भी फिर एक बार युवा नेता और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की करीबी कही जाने वाली मीनाक्षी नटराजन पर भरोसा जताया है।
 
जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) के प्रभुत्व वाले धार संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस इस बार दिनेश गिरवाल पर दांव लगाए हुए है। जयस प्रमुख डॉ. हीरालाल अलावा प्रदेश विधानसभा में विधायक हैं। उन्होंने कांग्रेस को समर्थन दिया है। डॉ. अलावा ने प्रदेश में कांग्रेस से कई संसदीय सीटों पर अपने प्रतिनिधि उतारने की मांग की थी लेकिन अंत में सिर्फ धार सीट पर जयस से जुड़े प्रतिनिधि को मौका दिया गया। भाजपा ने यहां से सांसद सावित्री ठाकुर का टिकट काटकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसंद कहे जाने वाले छतरसिंह दरबार को उतारा है।
 
खंडवा संसदीय सीट पर दोनों ही दलों के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एक बार फिर आमने-सामने हैं। यहां भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान का सामना कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव से हो रहा है, वहीं नजदीकी खरगोन सीट पर कांग्रेस के डॉ. गोविंद मुजाल्दा भाजपा के गजेंद्र पटेल के सामने हैं।
 
आदिवासी बहुल बैतूल संसदीय क्षेत्र पर भी दोनों दलों ने नए चेहरों को तवज्जो दी है। भाजपा ने यहां से अपने जाति प्रमाण पत्र को लेकर विवादों में रहीं ज्योति धुर्वे को मौका न देकर सामान्य पृष्ठभूमि वाले शिक्षक डीडी उइके पर विश्वास जताया है। कांग्रेस भी यहां से अपेक्षाकृत युवा चेहरे रामू टेकाम के भरोसे इस सीट को अपने पक्ष में लाने की कोशिश में है।
 
मध्यप्रदेश में कुल 4 चरणों में चुनाव होने हैं। पहले चरण में 6 लोकसभा क्षेत्रों सीधी, शहडोल, जबलपुर, बालाघाट, मंडला और छिंदवाड़ा में 29 अप्रैल को मतदान होगा। 5वें चरण में 7 लोकसभा क्षेत्र टीकमगढ़, दमोह, सतना, रीवा, खजुराहो, होशंगाबाद और बैतूल लोकसभा क्षेत्र में 6 मई को मतदान होना है।
 
6ठे चरण में 8 संसदीय क्षेत्रों मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल और राजगढ़ में 12 मई मतदान तिथि है। 7वें और अंतिम चरण में 8 लोकसभा क्षेत्रों देवास, उज्जैन, इंदौर, धार, मंदसौर, रतलाम, खरगोन और खंडवा में 19 मई को मतदान होगा। मतगणना 23 मई को होगी। (वार्ता)

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