रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार ने वर्ष 2015 में माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम का आवंटन उच्चतम न्यायालय के निर्देश का उल्लंघन करते हुए 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर निजी कंपनियों को कर दिया। न्यायालय के निर्देशों के अनुसार स्पेक्ट्रम का आवंटन नीलामी के आधार पर किया जाना चाहिए। इससे सरकारी खजाने को 560 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने यह कदम जान-बूझकर और पूंजीपति मित्रों को फायदा देने के लिए उठाया था। इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी का वास्तविक चरित्र सामने आता है। केंद्र सरकार ने न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन तथा जनता का नुकसान किया है। उन्होंने 2 और स्पेक्ट्रम घोटालों का उल्लेख करते हुए कहा कि मोदी सरकार की नीतियों और निर्णयों से जनता को कुल 69 हजार 381 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।
उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने निजी सेवा प्रदाताओं से 45 हजार करोड़ रुपए नहीं वसूले। यह स्पेक्ट्रम देरी से शुरू करने का जुर्माना है, जो मोदी ने अपने निजी मित्रों से नहीं लिया है। इसी तरह से 6 साल के लिए 23 हजार 821 करोड़ रुपए की वसूली टाल दी है। (वार्ता)