Akshay Kanti Bam : नाम वापसी के अंतिम दिन कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने पार्टी को तगड़ा झटका देते हुए अपना नाम वापस ले लिया। इसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। यह कयास लगाए जाने लगे कि इंदौर में सूरत की तरह भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी निर्विरोध निर्वाचित हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। दो निर्दलीय प्रत्याशियों नाम वापसी की सूची में अपना नाम देखकर विरोध दर्ज करवाया। इंदौर में 13 मई को मतदान होना है। कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार मोतीसिंह पटेल का भी नामांकन फार्म निरस्त कर दिया गया था।
अक्षय कांति बम के बाद 9 प्रत्याशियों ने अपने नाम वापस लिए। संसदीय क्षेत्र में कुल 23 प्रत्याशियों के नामांकन थे। बम के नामांकन वापस लेने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि निर्दलीय भी अपना नाम वापस ले लेंगे, लेकिन भाजपा ऐसा करवाने में सफल नहीं हो सकी। भाजपा का निर्विरोध जीतने का प्लान फेल हो गया।
मतदाताओं की तादाद के लिहाज से प्रदेश में सबसे बड़े इंदौर लोकसभा क्षेत्र में 25.13 लाख लोगों को मताधिकार हासिल है जहां भाजपा ने इस बार आठ लाख मतों के अंतर से जीत का नारा दिया है।
अक्षय बम के साथ 9 प्रत्याशियों ने अपने नाम वापस लिए। शंकर लालवानी के अलावा निर्दलीय संजय सोलंकी, कॉमरेड अजीत सिंह, पवन कुमार, वंसत गहलोत, अभय जैन, अयाज अली, अर्जुन परिहार, अंकित गुप्ता, परमानंद तोलानी, एडवोकेट पंकज गुप्ता, मुदित चौरसिया, रवि सिरवेया और लविश खंडेलवाल मैदान में हैं।
नामांकन वापस लेने से पहले बम कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ नजर आए। इस तस्वीर को विजयवर्गीय ने सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में भाजपा में स्वागत है। बताया जा रहा है कि इस राजनीतिक घटनाक्रम में कैलाश विजयवर्गीय की बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने आलाकमान को संकेत दिए थे कि वे इंदौर में कुछ बड़ा करने वाले हैं।
दो प्रत्याशियों ने जताई आपत्ति : निर्दलीय प्रत्याशी धर्मेंद्र झाला के बाद एक और उम्मीदवार ने नामांकन फॉर्म वापसी की सूची को लेकर आपत्ति जताई। सूची में धर्मेंद्र झाला और दिलीप ठक्कर का नाम शामिल है। दोनों ने दावा किया कि हमने नाम वापस नहीं लिया है। मीडिया खबरों के मुताबिक धर्मेंद्र झाला और दिलीप ठक्कर के प्रस्तावक कलेक्टर कार्यालय में धरने पर बैठ गए।