मतदान को लेकर अब युवा सोएँगे नहीं

- अनुराग तागड़
आजकल टीवी पर एक विज्ञापन चल रहा है 'आप सो रहे हैं!' यह दरअसल किसी प्रोडक्ट का विज्ञापन न होकर उन लोगों को जागृत करने का अभियान है जो वोट नहीं डालते। इस तरह के अभियानों से युवा मतदाताओं में एक जागृति आती दिखाई दे रही है।

युवाओं और राजनीति को लेकर अब तक काफी कुछ कहा जा चुका है। युवाओं में भी यही बात देखने में आती थी कि राजनीति उनके बस की बात नहीं है, पर कुछ वर्षों से चुनाव व मतदान को लेकर एक अलग तरह का माहौल बना। इसमें युवाओं को ज्यादा से ज्यादा राजनीति से जोड़ने की बात कही गई है। दरअसल देश का युवा अब अपनी सहभागिता बढ़ाना चाहता है और इसके लिए मतदान को वह अपना हथियार बनाना चाहता है। लोकसभा चुनावों को लेकर भी युवाओं में सक्रियता नजर आ रही है।

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटी के अनुसार 1996, 1998, 1999 तथा 2004 के लोकसभा चुनाव में 18 से 25 साल के युवाओं द्वारा मतदान में उत्साहपूर्वक भाग लिया गया। यह 50 प्रतिशत से भी अधिक है। वैसे भी भारत में 25 से 40 वर्ष के लोगों की आबादी सबसे ज्यादा है, इस कारण भी युवाओं को लेकर राजनीतिक पार्टियों में होड़ लगी है।

सोशल नेटवर्किंग से जागृति : युवाओं से उनकी भाषा में बात करने पर ही उन्हें बात समझ में आती है। यह बात सभी को पता है। चुनाव में मतदान करने को लेकर अब युवा स्वयं ही एक-दूसरे को जागृत कर रहे हैं। अब ऐसा माहौल बन चुका है, जिसमें युवा समझ चुके हैं कि मतदान के दिन केवल पिकनिक मनाना या पार्टी मनाने से काम नहीं चलेगा। उस दिन को भले एन्जॉय करें, पर पहले मतदान जरूर करें। युवाओं में सोशल नेटवर्किंग की बदौलत अब कई यूथ ब्लाग्स पर मतदान क्यों करना व मतदान के संबंध में जानकारी दी जा रही है।

जागृति के बहाने ब्रांड प्रमोशन : मतदान के लिए युवाओं को जागृत करने के बहाने अब ब्रांड प्रमोशन भी होने लगे हैं। एक चाय बनाने वाली कंपनी ने तो बाकायदा एक वेबसाइट ही बना दी है। इस पर चुनाव व युवाओं को लेकर काफी जानकारी दी गई है। साथ ही यह विचारों के आदान-प्रदान करने का भी अच्छा माध्यम बन रहा है। 'आप सो रहे हैं' इस पंच-लाइन के माध्यम से यह विज्ञापन युवाओं को जागृत कर रहा है। युवा सही मायनों में अपने मतदान के अधिकार के बारे में जान भी रहे हैं।

वोटर आईडी कार्ड और ग्रीटिंग कार्ड : युवाओं में मतदान को लेकर जनजागृति लाने के लिए कई अभियान भी चलाए गए हैं, जिनमें निजी एफ एम चैनल भी भाग ले रहे हैं। इन्हें पता है कि युवाओं में मतदान को लेकर जागृति लाना है तो उन्हें किस तरह से समझाना है। वोटर आईडी कार्ड (मतदाता परिचय पत्र) और ग्रीटिंग कार्ड को लेकर युवाओं को समझाया गया है, क्योंकि कई युवा ग्रीटिंग कार्ड क्या होता है, यह तो जानते हैं, परंतु वोटर आईडी कार्ड क्या होता है, यह नहीं जानते!

यही कारण रहा कि जब युवाओं को झकझोर कर पूछा गया 'आप सो रहे हैं' तो युवा गुस्से में नजर आता है। गत पाँच वर्षों में युवाओं में मतदान को लेकर काफी जागृति आई है। आज का युवा भारत के विकास के मॉडल में क्या होना चाहिए, इस बात को लेकर भी बहस कर रहा है। संभव है इस बार के लोकसभा चुनाव में युवा वर्ग अपने मतदान के अधिकार का जबर्दस्त तरीके से इस्तेमाल करे!

वेबदुनिया पर पढ़ें