क्‍वि‍ट नहीं, कॉपरेट करें

- पूजा पाण्डेय

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गए वो दिन जब पत्नी अपने पति को धमकी दिया करती थीं कि मैं मायके चली जाऊँगी। लेकिन अब रूठ जाने या मनमुटाव होने के बाद ऐसे किसी एलान की जरूरत नहीं रह गई है। अब वे बात को बहुत बिगाड़े बिना मसला सुलझा रही हैं। यानी बहुत हुआ तो चाय-पानी बंद कर दिया, या फिर पति को 'चाय में डूबा बिस्कुट' बोल दिया।

लेकिन मायके रवाना होकर जिम्मेदारियों से जी चुराना कतई बर्दाश्त नहीं। बात करते हैं उन धमकियों, तकरारों और मनमुटावों की जिनके रंग अब बदल गए हैं।

कैसी-कैसी नाराजगी
एक एमएनसी में काम करने वाली प्रीति कल सुबह शिफ्ट में थी। शिफ्ट ओवर होने के बाद भी जब वह घर नहीं गई तो आरती ने पूछा क्या बात है। इस पर प्रीति ने बताया पति से झगड़ा हुआ है और उसने तय किया है कि आज घर देर से जाएगी। दरअसल ये तकरार के इजहार का एक तरीका है।

नए जमाने में हालात बदले हैं। महिलाओं की स्थिति बदली है तो नाराजगी जाहिर करने के तरीके भी बदल गए हैं। प्रीति शिफ्ट खत्म होने के करीब दो घंटे बाद जब घर जाने लगी तो पूछने पर उसने आरती को बताया ऐसे झगड़े के बाद कभी-कभी वो मॉल चली जाया करती है। कभी पति से बातचीत बंद कर देती है तो कभी अकेले थियेटर चली जाती है। यानी अधिक से अधिक दो-तीन घंटे का इंटरवल, बस।

दायरे में रहें
कहने वाले कह सकते हैं कि तकरार भी प्यार का ही एक हिस्सा है,लेकिन इसकी भी एक सीमा तय कर ली जाए तो कभी दिक्कत नहीं होगी। अब प्रीति की ही बात कर लीजिए। उसका रिकॉर्ड है कि अगर कभी पति से बातचीत बंद भी हुई तो ये अधिक से अधिक तीन घंटे तक चलता है।

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बस यूँ समझ लीजिए कि एक फ्लॉप मूवी की तरह। प्रीति कभी भी नाराजगी की इस फिल्म को हिट नहीं होने देती। मिसाल के तौर पर अगर वो पति से बातचीत नहीं करती तो उस दौरान चिट लिखकर अपनी बातें पहुंचाती रहती है। उसे मालूम है कि इस स्टाइल की ही वजह से ऐसे मौकों पर उसके पति कभी नाराज नहीं होते। ठीक भी है अगर दोनों ही तुनक जाएँ तो बात बिगड़ते देर नहीं लगेगी।

बेस्ट हाफ कहिए जनाब
आमतौर पर देखा जा रहा है कि अब पत्नियों का महत्व बढ़ा है। कहने का मतलब ये कि घर के किसी भी फैसले में उनकी भागीदारी सिर्फ बराबरी की नहीं बल्कि इससे भी कहीं ज्यादा हो गई है। ऐसे में कम ही मौके आते हैं जब उन्हें बात मनवाने के लिए किसी किस्म की धमकी देने की जरूरत पड़ती है।

या यूँ कहें कि नए जमाने की महिलाओं ने खुद को इस तरीके से पेश किया है कि वे रूठने, मुंह फुलाने और आँसू बहाने जैसी आदतों को खुद ही बहुत पीछे छोड़ चुकी हैं। बेहतर पत्नी, बेहतर मां और एक स्मार्ट प्रोफेशनल के बीच तालमेल बैठाने के लिए ऐसी आदतों को पालने की कोई जरूरत भी नहीं।

मतभेद हो, मनभेद नहीं
अगर कभी नाराज होकर पति को धमकाना भी पड़े तो रिश्तों की मर्यादा का पूरा ख्याल रखें। छोटा-मोटा गुस्सा झगड़े में न तब्दील हो पाए। आमतौर पर ऐसा होता है कि नाराजगी में हम पुरानी बातों को खींचकर सामने परोस देते हैं। इसकी वजह से खटास बढ़ती है और मनमुटाव का समय लंबा खिंचता चला जाता है। पत्नी को खास तौर पर ख्याल रखना चाहिए कि नोंक-झोंक गंभीर न बनने पाए।

अब मान भी जाइए
एक मशहूर किताब में लिखा गया है कि मर्द अगर मंगल ग्रह से हैं तो महिलाएँ शुक्र से। कहने का मतलब ये कि दोनों के बीच बहुत सारी चीजें बिल्कुल अलग होती हैं। पत्नी चाहकर भी अपने पूरे जीवन में पति की कुछ आदतों को नहीं बदल सकती।

जाहिर है ये बात खुद पत्नी के लिए भी लागू होती है। ऐसे में गृहस्थी के कई मुद्दों पर एक-दूसरे के पीछे न पड़ने में ही भलाई है। कई बार ऐसा होता है कि गलती आपकी नहीं भी होती लेकिन अपनी गलती मान लेना ही सही विकल्प होता है।

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