प्यार के दुश्मन तुझे सलाम

मानसी

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हेलदोस्तो! कभी आपके दिल में यह खयाल आया है कि काश अपना भी कोई दुश्मन होता! आप कहेंगे कैसा बेतुका सा सवाल है। ऐसभला कोई कामना करता है। आप तो हर समय यही प्रार्थना करते होंगे कि भगवान आपको हर पल शत्रुओं से दूर रखे।

दिल से यही दुआ निकलती होंगी कि किसी भी काम में कोई विघ्न न पड़े और न ही कभी कोई बाधा डालने वालों से पाला पड़े। पर यदि कोई आपको यह समझाए कि दुश्मन, दोस्तों से प्यारा होता है तो शायद ही आप यकीन करें। खासकर उन हालात में जब आप सच्चे प्रेम का दावा कर रहे हों।

पर विश्वास कीजिए पक्के और सच्चे प्रेम के लिए तो दो-चार दुश्मन चाहिए ही चाहिए। आप कहेंगे कैसा विचित्र सा विचार है। हर प्रेमी जोड़ा यही चाहता है कि उनके जीवन में कोई टोका-टोकी करने वाला न हो। प्यार की जिंदगी निर्मल धारा की तरह कल-कल बहती जाए। फूलों, तितलियों, दोस्तों व अपनों का जो भी साथ मिले बस मदद के लिए मिले। कभी कोई प्यार की राह में रुकावट न बने।

पर कभी आपने सोचा है कि यदि सब कुछ मीठा-मीठा, अच्छा-अच्छा मिलता रहा तो पता कैसे चलेगा कि आप एक-दूसरे को कितना प्यार करते हैं। एक-दूसरे को कितना समझते हैं। विपरीत परिस्थिति में एक-दूसरे के प्रति आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी। अगर प्यार करने वालों के दो-चार दुश्मन हैं और वे दोनों के बीच तमाम तरह की गलतफहमियाँ पैदा करते हैं, एक-दूसरे का उनके खिलाफ कान भरते हैं तो समझें कि कोई आपके प्रेम और विश्वास की परीक्षा ले रहा है।

जैसे कोई ऐसा राज जो प्रेमी जोड़े ने किसी भी कारण से एक-दूसरे से छिपाया हुआ है, उसके खुलने पर किस धैर्य व समझदारी से उसपर प्रतिक्रिया होगी। इसी पर आपके प्यार की गंभीरता मापी जा पाएगी। दुश्मनों द्वारा भ्रांति फैलाने पर, रिश्ता तोड़ लेने चीखने-चिल्लाने के बजाय एक-दूसरे पर यकीन रखते हुए न बताने की वजह जानने का साहस एवं भरोसा जुटा पाते हैं या नहीं।

आप खुद सोचें यदि कोई व्यवधान न हो और बहुत आसानी से आप अपने प्रेम करने वाले से मिल सकते हैं तो आपको यह पता ही नहीं चल सकता है कि इंतजार या न मिल पाने की बेताबी क्या होती है। तड़प का एहसास क्या होता है। कठिनाइयों के बाद मिलने का मजा क्या होता है।

एक-दूसरे का व्यवहार मन के माफिक न हो। शिकायतों का पुलिंदा जमा हो जाए पर आपकी टेस्टिंग भी यही है कि लड़-झगड़कर भी आप सारी गलतफहमियों से कैसे ऊपर उठते हैं। नोकझोंक व अपेक्षा के विपरीत व्यवहार होना भी स्वस्थ प्रेम को जन्म देता है।
जब आपके दुश्मन तमाम तरह की शिकायतें, बदनामियाँ आपके बारे में फैलाते हैं और फिर भी आप बिना विचलित हुए, साहस बटोर कर गंभीरता से एक-दूसरे का साथ निभाते हैं तो यह इस बात का सबूत है कि आपके प्यार में गहराई है। आपको भी पता चलता है कि सचमुच आप इस प्यार के लिए कष्ट उठाने और बलिदान देने का जज्बा रखते हैं। ऐसी परिस्थितियाँ आने पर ही यह संकेत मिलते हैं कि आपका प्यार सच्चा है और लंबे समय तक आपके साथ रहने वाला है। वरना महज तू मीर मैं गालिब वाली लफ्फाजी से केवल झूठा भ्रम बना रहता है और कुछ नहीं।

ऐसे कितने ही जोड़े हैं जहाँ हल्का सा विवाद, छोटी-सी धमकी, बेसिर-पैर की अफवाह फैली नहीं कि रिश्ते काँच के प्याले की तरह दरक (क्रेक) जाते हैं। उन्हें जानने वाले कहते फिरते हैं कल तक दो जिस्म एक जान थे पर अब एक-दूसरे के साये से भी दूर भागते हैं। इसीलिए यदि प्रेम की शुरुआत ही दुश्मनों की मौजूदगी में हो तो उसे बार-बार परीक्षा से गुजरना पड़ता है और यह इम्तिहान ही उसे मंजिल की ओर ले जाता है। दुश्मनों की उपस्थिति में साथ चला हुआ एक कदम सौ मील के बराबर है वरना सौ मील चलकर भी आप एक झटके में प्रस्थान बिंदु पर पहुँच जाएँगे। दुश्मनों के कारण हो सकता है कि कभी मन मुटाव हो जाए।

एक-दूसरे का व्यवहार मन के माफिक न हो। शिकायतों का पुलिंदा जमा हो जाए पर आपकी टेस्टिंग भी यही है कि लड़-झगड़कर भी आप सारी गलतफहमियों से कैसे ऊपर उठते हैं। नोकझोंक व अपेक्षा के विपरीत व्यवहार होना भी स्वस्थ प्रेम को जन्म देता है। एक-दूसरे की कमियों व खामियों को जानने, सहने और उसे स्वीकार करना सीखना इसी से आता है।

हर व्यक्ति अपने आसपास के हालात से प्रभावित होकर अपनी हिम्मत और समझदारी का परिचय देता है। हो सकता है, दूसरे को वह व्यवहार कायरतापूर्ण, साहसपूर्ण या असम्मानजनक लगे। इन हालात में दोनों कितना संवाद बना पाते हैं और एक-दूसरे को अपने फैसले के लिए कितना कायल व संतुष्ट कर पाते हैं, यह पक्के रिश्ते के लिए अहम है।

विपरीत हालात से गुजरकर ही हमें अपनी सेहत के बारे में सही अंदाजा लगता है। हम जान पाते हैं कि किस प्रकार का भोजन, मौसम, मेहनत हम सह सकते हैं। पूरी तरह सेहतमंद रहने के लिए किस खानपान, व्यायाम आदि का खयाल रखें। उसी प्रकार प्रेम में भी तरह-तरह की दिक्कतें आने से उसका सार-संभाल आप सीख पाते हैं और तब आपको कोई भी अलग नहीं कर पाएगा। तो दुश्मनों की चाल से हतोत्साहित होने के बजाय उनका शुक्रिया अदा कीजिए और याद रखें अगर सकारात्मक सोच है तो नकारात्मक हालात बाधा नहीं बल्कि सहायक बनते हैं।

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