हेलो दोस्तो! हमारा दिल भी एक विचित्र किस्म का मायाजाल है। कब और क्यों वह किसी की छवि अपने भीतर स्थापित कर ले, कोई नहीं जानता। उसी मनमूर्ति को याद करके वह तड़पता है, उसी की याद में आहें भरता है और तो और दूसरों की प्यार भरी बातों के बजाय उसकी बेरुखी और दुख को गले लगाता है। हजार गुना बेहतर उसके सामने किसी और को रख दो पर उसे तो बस उसी की तलाश रहती है। जिस प्रकार एक बच्चे को अपने माता या पिता जिससे भी गहरा लगाव होता है, उसकी डाँट-फटकार के बाद भी उसी से चिपककर उसे चैन सुकून मिलता है ठीक उसी तरह एक प्यार करने वाले का हाल होता है।
पर जिंदगी के हालात भिन्न होते हैं। हमेशा वही नहीं हो सकता जैसा दिल ने चाहा है। ऐसे में एक नौजवान दिल को सच्चाई बताना बड़ा ही कठिन काम होता है। जिस दिल ने कभी किसी की याद में तड़पकर उसे किसी के प्यार में होने का अहसास कराया है, किसी के लिए उम्मीद जगाई है जब वही दिल पीड़ा का सबब बन जाए तो उसका क्या इलाज हो सकता है।
ऐसे ही पीड़ा भरे दिल से परेशान लाचार हैं अर्जुन (बदला हुआ नाम)। अर्जुन मात्र १९ वर्ष के हैं एक ट्यूशन क्लास में उनकी मुलाकात एक लड़की से हुई और पहली ही नजर में वह दिल हार गए। धीरे-धीरे उन्हें लगा कि वह उसे बहुत चाहते हैं। चूंकि वह लड़की भी अपनी नजरों और बातों में मुलामियत व अपनापन दिखाती थी सो अर्जुन को उसकी ओर से भी प्रेम का भ्रम हो गया। फिर एक दिन उस लड़की ने अच्छे दोस्त के नाते उसे बताया कि वह एक लड़के से प्यार करती है। यह सुनकर अर्जुन सन्न रह गए।
इस सच्चाई को बर्दाश्त कर पाना उनके लिए आसान नहीं था। उस लड़की को देखते ही वह विचलित हो जाते थे। उन्होंने जल्द ही अपना ट्यूशन क्लास बदल लिया। समय बीतने के साथ वे उस लड़की को किसी प्रकार भुला पाने में कामयाब हुए ही थे कि किस्मत ने एक अजीब मोड़ पर लाकर उन्हें खड़ा कर दिया। अर्जुन के पिता के एक दोस्त से दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि उन्होंने दोनों परिवारों के इकट्ठा बाहर घूमने का प्रोग्राम बना लिया। वह परिवार कोई और नहीं था बल्कि अर्जुन की उस दोस्त का परिवार था।
मुलाकात में उस लड़की ने अपने बॉयफ्रेंड के बारे में बताया और पूछा कि अर्जुन ने कोई गर्लफ्रेंड बनाई या नहीं। पर अर्जुन अपने दिल का हाल उससे बयान नहीं कर पाए। अब मुसीबत यह है कि अर्जुन को न चाहते हुए भी अक्सर उस परिवार से मिलना पड़ता है। उस लड़की की याद ने उसका सुख-चैन छीन रखा है। उनका स्वास्थ्य एवं कॅरियर दोनों तबाही की ओर जा रहे हैं। वह अपनी वेदना किसी के सामने प्रकट नहीं कर सकते क्योंकि कोई भी इस अहसास की जटिलता समझ नहीं पाएगा। उन्हें लगता है ऐसा कोई जादू-मंतर मिल जाए जो उसे इस पीड़ा से निजात दिला दे।
अर्जुन जी, न तो प्यार किसी जादू-मंतर या टोटका के कारण होता है और न ही किसी की याद भगाने के लिए कोई झाड़-फूँक काम आती है। ये तो बस हालात हैं, जो हमें किसी के करीब या दूर करते हैं। अगर आप उस लड़की से कभी मिलते ही नहीं तो यह पूरा किस्सा ही जन्म नहीं लेता। यह सच है कि हम समय और परिस्थिति के हाथों के खिलौने बन जाते हैं। ज्यादा निराश न हों इससे पार पाने के भी उपाय हैं।
हमें किसी भी परिस्थिति, इनसान, चुनौती, जीवन या मरण से भागने के बजाय उसका सामना करना चाहिए। जब हम किसी हालात का सामना कर लेते हैं या उससे रूबरू हो जाते हैं तो हमारी सारी शंकाएँ एवं सारा डर निकल जाता है। उसका सारा पहलू जानने के बाद कोई रहस्य मन को विचलित नहीं करता। हमारे पास मन में उठने वाले हर प्रश्न का जवाब होता है। फिर धीरे-धीरे हम सच्चाई कबूल कर लेते हैं और जीवन में आगे बढ़ जाते हैं
अर्जुन जी, आप अपनी दोस्त से आँखें चुराने के बजाय मिलकर खूब बातें कर लें। थोड़ा खुल जाएँ तो हँसी-मजाक में यह भी बता दें कि आप उन्हें पसंद करने लगे थे।
आप यदि उनसे लगातार बातें करते रहेंगे तो कोई कसक भीतर नहीं बचेगी। आप दोनों के बीच धीरे-धीरे सहजता आ जाएगी। हो सकता है वह आपकी अच्छी दोस्त बन जाए या फिर आपको उसकी आदतें, बातें सोच उतनी अच्छी न लगे। यदि ऐसा हुआ तो आसानी से मोह भंग हो जाएगा और वह छवि कहीं विलुप्त हो जाएगी। उनका स्वभाव कैसा भी हो, पर इतना पक्का है कि आप अभी जिस कष्ट में हैं वह एक बार खत्म हो जाएगा। आप अपने कॅरियर, निजी दिक्कतों आदि के बारे में उससे बातें कर सकते हैं। अभी आपकी उम्र बहुत ही कम है। प्यार करने के लिए तो जिंदगी पड़ी है। पहले अपने-आप से प्यार कर अपना जीवन संवारें फिर किसी और के लिए सोचें।