एकतरफा इश्क नादानी है!

प्रेम जब दोनों तरफ हो तो मजा देता है
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कोचिंग में बी.कॉम फाइनल ईयर के कई छात्र एक साथ बैठकर पढ़ते हैं। पढ़ाई को लेकर गंभीरता तो केवल एग्जाम्स के दिनों में ही दिखाई देती है। खाली समय में गप्पे लड़ाते हुए चर्चा कौन सी लड़की सबसे सुंदर है, किसकफिगअच्छै, किसके कट्‍स अच्छे हैं और किस लड़के पर सबसे ज्यादा लड़कियाँ मर मिटने को तैयार हैं।

सागर को भी देखकर और उसके व्यवहार से कोई भी अप्रभावित नहीं रहा। अनुष्का को भी लगा जैसे कि वह उसी के लिए बना है। लेकिन लड़कियाँ उसकआगे-पीछमक्खियोकी तरह भिनभिनाती रहती हैं। वह इन लड़कियों को ज्यादा भाव भी नहीं देता। इससे अनुष्का को कोई फर्क नहीं पड़ता।

अनुष्का अपने मन मंदिर में बैठाकर उसी कपूजने लगी है। घर पर, क्लास में, उठते-बैठते हर घड़ी उसकी आँखों के सामने बसागचेहरछायरहत। वह खुद भी जानती है कि अन्य लड़कियों की तरह उसकी भी दाल गलने वाली नहीं।

करियखिलवाडकरनवाली अनुष्का न घर की रही न घाट की। न तो प्यार मोहब्बत में सफल हो सकी और न ही पढ़ाई में मन लगसकी।

महीनों तक सकारात्मक जवाब न मिलते देख अवसाद की स्थिति में चली गई। कई मनोचिकित्सकों की मदद से ठीक होने में 2-3 महीने का समय लगा और अंतत: उसने सच्चाई को स्वीकार किया। आपने किसी लड़के या लड़की को किसी भी कारण से पसंद किया और एक आयु वर्ग में ऐसा होना स्वाभाविक भी है। लेकिन यह जरूरी तो नहीं जिसे आप चाहें वह भी आपको चाहने लगे। इससे अच्‍छा है आप रिश्तों की हकीकत को समझें और खुले दिल से वास्तविकता को स्वीकार करें जैसा कि देर-सवेर अनुष्का नकिया।

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