हेलो दोस्तो! ईर्ष्या या जलन की भावना से शायद ही कोई बच पाता है। जब तक यह भावना कुछ बेहतर करने की प्रेरणा दे तब तक तो ठीक है वरना इसका अंजाम हमेशा बुरा ही निकलता है। जो लोग इस भावना पर काबू नहीं कर पाते उनमें कब्जेदारी की भावना बहुत बढ़ जाती है। ऐसे लोग जिनसे भी जुड़े होते हैं, उन पर वे पूरी तरह एकाधिकार जताना चाहते हैं। उन्हें केवल वर्तमान की चिंता ही नहीं रहती है बल्कि अतीत के संबंधों की पीड़ा भी सताती रहती है।
अपनी इसी असंतुलित भावना के कारण वे अपना वर्तमान भी तबाह कर लेते हैं। जब सामने वाला इस स्वभाव के कारण अपने आपको अलग-थलग कर उदासीनता का रवैया अख्तियार कर लेता है तब उन्हें समझ नहीं आता कि रिश्ते में पहले जैसी गरमाहट, खुशी व भरोसा कैसे वापस लाएँ।
जलन और कब्जेदारी की भावना के कारण ही परिमल अपने प्यार भरे रिश्ते को तोड़ने की कगार पर पहुंच चुके हैं। दरअसल, परिमल ने एक अमेरिकी लड़की से शादी की है और अब उनकी एक प्यारी-सी बेटी भी है पर परिमल के ईर्ष्यालु स्वभाव के कारण उनकी पत्नी अपनी बच्ची को लेकर अलग होना चाहती हैं लेकिन परिमल ऐसा नहीं चाहते हैं। वे अपनी बच्ची से बिछुड़ना नहीं चाहते हैं। उन्हें अपनी पत्नी से भी बेहद लगाव महसूस होता है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि कैसे वह अपनी पत्नी को अपने प्यार का यकीन दिलाएँ। कैसे उन्हें परिवार की अहमियत समझाएँ।
परिमल जी, आपने अपनी पत्नी को उसके पूर्व रिश्ते की बाबत कोस-कोस कर उनके पुराने संबंध को एक बार फिर जीवित कर दिया। वह जिससे अलग हो चुकी थीं उसे आपने उसके साथ लाकर जोड़ दिया। अपने ईर्ष्यालु स्वभाव के कारण अपनी पत्नी के साथ केवल आप ही उपस्थित नहीं रहे बल्कि आपने उसके प्रेमी को भी वहाँ घसीट लिया। आपने ऐसा कर यह साबित कर दिया कि उसे केवल आपकी ही नहीं बल्कि किसी और की भी जरूरत है।
शायद प्यार होना या करना उतना मुश्किल काम नहीं है जितना कि प्यार में एक हो जाने के बाद उस प्यार को बरकरार रखना। साथ हो जाने के बाद यह दायित्व और भी गंभीर हो जाता है। जो साथ होता है उसकी हर छोटी-बड़ी बात आपके सामने होती है। हर दिन सैकड़ों मौके ऐसे आते हैं जब आप एक-दूसरे को तोलते हैं। आप अपने साथी से यही आस लगाए बैठे होते हैं कि वह पूरी तरह आप पर भरोसा रखेगा और उसका व्यवहार औरों के मुकाबले दया से भरा होगा।
आपके किसी गुण के कारण ही आपकी पत्नी ने अपने पुराने रिश्ते को तोड़कर आपसे प्रेम और विवाह किया है। उन गुणों को फिर से जीवित करें और अपने प्यार को बचा लें।
भरोसा, समर्पण, किसी भी प्रकार की पीड़ा या परेशानी से बाहर निकालने का प्रयास और हर अच्छी या बुरी परिस्थिति में संबल देने का व्यवहार ही तो किसी भी रिश्ते का मूल आधार होता है। यदि किसी रिश्ते को कानूनी नाम देकर उससे वह आधार हटा दिया जाए तो वह पहले रूप में कैसे बचा रह सकता है। प्रायः प्रेम करने वाले जोड़े शादी के बाद की जिम्मेदारियों से बेगाने हो जाते हैं। वे रिश्ते को लेकर इतने निश्चिंत हो जाते हैं कि उसे बचाने के लिए किसी कोशिश को जरूरी नहीं मानते।
सच्चाई यह है कि साथ होने के बाद भरोसा, प्यार, समर्पण, त्याग और समझदारी से भरा व्यवहार दिखाने की अधिक आवश्यकता होती है। दोनों ही एक बेहद संतुलित, सहज और प्यार से सराबोर जीवन की कल्पना में ही साथ रहने का फैसला करते हैं। दोनों की अपेक्षाएँ एक-दूसरे से बहुत ज्यादा होती है इसलिए उस ख्वाब की दुनिया को हकीकत में उतारने के लिए दोनों को बहुत सतर्क रहने की जरूरत पड़ती है। यह सोचना कि यह अब अपना है, इस पर अपना एकाधिकार, जलन, खोने का डर आदि भावनाएँ थोप सकते हैं, बहुत बड़ी गलती होती है।
यह याद रखने की जरूरत है कि हर रिश्ते का निचोड़ उसके व्यवहार व संवाद बनाने वाले शब्द और भाव-भंगिमा में छिपा होता है। आप यदि एक तरफ यह बोलते रहें कि फलां के बिना आप जी नहीं पाएँगे या आप अथाह प्यार करते हैं और आपकी भाषा में उकताहट, झुँझलाहट और केवल शिकायत हो तो कोई रत्ती भर भी आपके दिल में पल रहे प्यार को महसूस नहीं कर सकता।
प्यार करने वाला कोई अंतरयामी नहीं होता जो बिना प्रदर्शित किए ही प्रेम की भावना समझ ले। यदि व्यक्तित्व के कारण साथी से नफरत हो गई हो तो वह थोड़ी भिन्न समस्या है, अन्यथा अपने व्यवहार में सुधार लाकर उदासीन पड़ चुके प्यार को दोबारा हरा-भरा किया जा सकता है। बार-बार दिल से माफी माँगना, भरोसा करना, उसकी पसंद का खयाल रखना, छोटी-छोटी बातों का केयर करना, उसकी हर अच्छी बात की तारीफ करना बेजान रिश्ते में जान फूँकने का काम करता है।
जो समझदार होते हैं वे अपने रिश्ते के बीच किसी और का नाम आने नहीं देते। अपनी मौजूदगी एक-दूसरे के मन पर इतनी होनी चाहिए कि उसी प्रकार के अन्य रिश्ते बस दूर की धूमिल परछाई भर रह जाए। सुख व दुख दोनों हालात में एक-दूसरे का अस्तित्व ही छाया रहे। अपने व्यवहार में सुधार लाकर, भरोसा व मिन्नत-समाजत करके और प्यार ही प्यार दिखाकर रिश्ते को बचाया जा सकता है।
आपके किसी गुण के कारण ही आपकी पत्नी ने अपने पुराने रिश्ते को तोड़कर आपसे प्रेम और विवाह किया है। उन गुणों को फिर से जीवित करें और अपने प्यार को बचा लें।