हेलो दोस्तो! एक मासूम बच्चा शोख सुर्ख अंगारे को देखकर मचल उठता है कि वह उसे अपनी मुठ्ठी में भर ले। पर, एक बार मामूली जलन से ही वह जीवन भर के लिए यह सीख जाता है कि इससे दूरी बनाए रखने में ही भलाई है। उसे यह सबक इसलिए भी याद रह जाता है कि इससे शारीरिक कष्ट जुड़ा हुआ है। लेकिन जब किसी घटना से मन को चोट पहुंचती है तो उसे आप बहुत जल्द भूल जाते हैं या यूं कहें कि मन पर चोट पहुंचने के डर को आप उतनी गंभीरता से नहीं लेते हैं।
इसलिए निरंतर किसी के मन को ठेस पहुंचाने की कोशिश से न तो आप क्षुब्ध होते हैं और न ही खुद को कष्ट पहुंचाने वालों से आप हमेशा के लिए दूर होते हैं। इस सिलसिले को समाप्त करने के लिए अक्सर शारीरिक चोट पहुंचाने का सहारा लेना पड़ता है।
ऐसे ही एक मानसिक कष्ट के अनचाहे सिलसिले के जाल में फंस गई है भावनी (बदला हुआ नाम)। भावनी एक ऑफिस में काम करती है और वह अपने एक सहयोगी को पसंद करती है। वह भी उससे कभी-कभार बात कर लेता था। अब वह उस ऑफिस से जा चुका है। पर भावनी उसे निरंतर फोन, मैसेज, मेल करती रहती है। उसके दोस्त ने साफ लफ्जों में मना कर दिया है कि वह उससे कोई संपर्क नहीं रखना चाहता है पर, भावनी हर हाल में उसे पाना चाहती है।
भावनी, आपके दोस्त ने न केवल आपको जुबानी धमकी दी है बल्कि उसने आपके दफ्तर में भी शिकायती पत्र लिखा था जिसे आपने ऐन वक्त पर संभाल लिया। वह आपके परिवार में भी आपके खिलाफ शिकायत की धमकी देने की बात कह रहा है। फिर भी आपकी एक ही रट है कि उसे वापस पाने का क्या उपाय निकाला जाए। जो व्यक्ति इतना चिढ़ चुका है और आपसे इतनी नफरत करता है कि आपका करिअर तक उसने बर्बाद करने का कदम उठा लिया उसे पाकर आप क्या करेंगी। आप जिस प्रकार उसके पीछे पड़ी हैं और जिस कदर वह आपके इस अमानवीय पागलपन से आहत है, क्या उसकी निगाह में कभी अपने लिए आप प्रेम देख पाएंगी।
एक बार आप यह सोचें कि कोई अनचाहा व्यक्ति हाथ धोकर आपके पीछे पड़ जाए तो आप उसका क्या हाल करेंगी? निश्चित तौर पर जैसा आपके दोस्त ने किया उससे हजार गुना ज्यादा बुरा।
आप खुद मानती हैं कि उसने कभी फोन नहीं किया, पीछे नहीं पड़ा, हां आपके फोन का कभी-कभी जवाब दे दिया। आपके पीछे पड़ने से उसने आपका मान रखकर कभी आपसे बात कर ली, क्या आप उसकी उसे इतनी बड़ी सजा दे रही हैं। पुरुषों के बारे में सुना था कि कोई लड़की उसे पसंद आ जाए तो वह उसे सामान की तरह घर में लाकर सजा लेना चाहता है, बेशक वह लड़की उससे प्यार करे या नहीं। जो लड़का आपसे पीछा छुड़ाने के लिए धमकी पर धमकी दे रहा है, क्या वह आपको एक दोस्त बनकर राहत पहुंचा सकता है।
शायद आप उससे अब भी नरम पड़ जाने की उम्मीद लगाए बैठी हैं। वह धमकियों को सही साबित करने के नमूने के तौर पर ऑफिस वाली करामात दिखा चुका है पर अब भी आपके होश ठिकाने पर नहीं हैं। आपको लगता है, आगे वह ऐसा कुछ और नहीं करेगा। यह आपकी भूल है। एक बार आप यह सोचें कि कोई अनचाहा व्यक्ति हाथ धोकर आपके पीछे पड़ जाए तो आप उसका क्या हाल करेंगी? निश्चित तौर पर जैसा आपके दोस्त ने किया उससे हजार गुना ज्यादा बुरा। आप इसलिए बहुत बुरा करेंगी कि आप में तार्किक ढंग से कुछ भी सोचने-समझने का धैर्य नहीं है। आपका दोस्त धैर्य से काम ले रहा है इसलिए आपको चेतावनी देकर समझा रहा है।
सच तो यह है कि आपका यह बहुत ही आश्चर्यजनक व्यवहार है क्योंकि यदि कोई व्यक्ति आपके प्रति बहुत प्यार या पसंदीदगी न जाहिर करे फिर भी उसके लिए इतना जुनून, यकीन मानें यह सामान्य व्यवहार नहीं हो सकता है। उसे हर हाल में पा लेने की खब्त भूलकर आपको किसी मनोचिकित्सक से मिलना चाहिए। यदि आप इसी प्रकार अपने दोस्त का जीना हराम करती रहीं तो वह न केवल सामाजिक रूप से आपको बदनाम करके छोड़ेगा बल्कि पीछा छुड़ाने के लिए शारीरिक हानि भी पहुंचा सकता है। जीवन के बहुत सारे पहलुओं पर शायद जबर्दस्ती चल सकती है लेकिन मन पर कतई नहीं।
बेशक यदि आपको मिटकर, पागल होकर खुशी मिलती है तो मिट जाएं पर जिसे प्रेम करते हैं उसे क्यों दुख देना है। अपने पागलपन के कारण किसी और का सुख-चैन क्यों हराम करें। प्रेम जीवन को बेहतर बनाने, उसे अधिक रचनात्मक बनाने के लिए किया जाता है ताकि आपका मन खुश रहे और उसी खुशी की ऊर्जा से आपके आसपास का जीवन भी मुस्करा उठे। पर, जबरन प्रेम के जुनून के चलते किसी को हिंसक बनना पड़े तो यह प्रेम नहीं, बीमारी है। इस बीमारी के इलाज के लिए मन के डॉक्टर के पास जाना जरूरी है।