अभी तक यही देखने में आया है कि प्यार कमजोर बनाता है। अनुभव भी यही कहते हैं कि प्यार कमजोर करता है। लेकिन हाल ही में हुए एक महत्वाकांक्षी अध्ययन ने यह सिद्ध किया है कि प्रेम का अपना एक रोग प्रतिरोधक सिस्टम होता है। किसी को आकर्षित करने की ताकत आपको मजबूत बनाती है और आकर्षित होने वाले को भी।
कहने का मतलब जब कोई जोड़ा एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होता है तो वह चुनौतियों और समस्याओं से निबटने से लिए (चाहे वह कितनी ही जटिल क्यों न हो) ऐसे लोगों के मुकाबले कहीं ज्यादा तैयार होता है, जिनकी जिंदगी में प्यार जैसी कोई चीज नहीं होती।
हमें बागी प्रेमियों की हिन्दी फिल्में याद आती हैं कि किस तरह वे अपने घरवालों से बचते हुए जंगल में जाकर अपना जीवन शुरू करते हैं, बाद की घटनाएँ चाहे हकीकत से टकराने और हारने की हों, लेकिन शुरुआत का साहस तो उस अध्ययन के निष्कर्ष को पुष्ट करने वाला ही होता है।
अभी कुछ सालों पहले तक मनोवैज्ञानिक और समाज विज्ञानी दोनों संबंधों के मामले में एक-दूसरे से अलग-अलग राय रखते थे। प्यार करने वाले विद्रोही जोड़े न मनोवैज्ञानिकों को समझ में आते थे और न समाजशास्त्रियों को। दोनों यह नहीं समझ पाते थे कि तमाम परेशानियों, बाधाओं और चुनौतियों के बीच आखिरकार दो प्यार करने वाले एक-दूसरे के साथ रहते हुए कैसे बड़ी-से-बड़ी बाधाओं, परेशानियों से टकरा जाते हैं और अपनी किस्मत की लकीरों से भी मुठभेड़ करने से गुरेज नहीं करते।
दरअसल, उन दोनों को इस बात का पता चला है कि प्यार का अपना एक सुरक्षा तंत्र होता है। इसे 'लव इम्यून सिस्टम' कहते हैं। यह कैसे काम करता है, यह कैसे प्रतिक्रिया करता है? इस संबंध में एक विस्तृत अध्ययन 'पेयर फैम' जर्मनी में हुआ।
12402 लोगों को इसके लिए चुना गया और उनसे एक-के-बाद सवाल-जवाब किए गए। ये सवाल- जवाब उनके संबंधों से लेकर थे। ये सवाल-जवाब उनके 14 सालों तक के रिश्तों पर किए गए थे।
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रेजिलियंस (लचीलापन) दोनों के बीच संकट से निपटने और साथ रहने के मामले में एकमात्र वह शब्द था जिसमें उन्हें हर तरह के संकट से निजात मिली। यह शब्द सभी तरह के कारकों का संगम है। इसमें मजबूती, प्रभावशीलता जैसी सभी चीजें मौजूद हैं। हालाँकि विज्ञान को अभी वह समीकरण खोजना बाकी है, जो हमारी खुशी का आधार होता है, लेकिन इसी दौरान हम पेयर फैम अध्ययन के कुछ नतीजों पर नजर दौड़ाकर यह जान सकते हैं कि हमें साथ रहने के लिए जमाने भर से टकराने की ताकत कौन देता है?
पेयर फैम अध्ययन बताता है कि ऐसे दो पार्टनर जो अपना ज्यादातर समय एकसाथ गुजारते हैं, वे ज्यादा खुश होते हैं, उन लोगों के मुकाबले जो एक-दूसरे के साथ उतना नहीं रहते या रह पाते हैं। उनके आपसी संबंध भी ज्यादा मजबूत होते हैं। इन दोनों के बीच घर के काम का बँटवारा भी ईमानदारी से होता है।
जब आदमी अपने पार्टनर की सफाई करने में मदद करता है और अक्सर खाना भी बनवाता है तो दोनों के बीच रिश्ते बहुत अच्छे होते हैं। जो जोड़े अपना खाली समय साथ बिताते हैं, तो उनके बीच संबंध ज्यादा मजबूत होते हैं। इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं, आपस में जुड़े रहें जिसका साधारण-सा मतलब होता है साथ-साथ काम करें, क्योंकि प्रेम एक गतिविधि है, लेकिन इस अध्ययन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है कि प्यार नाम का तत्व किस रहस्यमय तरीके से हमारे इम्यूनिटी को बढ़ा देता है।
यह अध्ययन इस बात को साबित करता है कि संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण है कि प्यार में तमाम सेटिस्फेक्शन फैक्टर हमें बेडरूम के बाहर हासिल होते हैं, लेकिन एक केंद्रीय भूमिका यह भी है कि सेक्स संबंध हमें ज्यादा नजदीक लाते हैं, और अगर ये संबंध बिना प्रेम के हैं तो हमें दूर भी करते हैं।
हाँ, लेकिन आगे की राह में थोड़ी मुश्किल होती है, शोधार्थियों ने यह भी पाया कि एक-दूसरे के भावनात्मक रूप से काफी नजदीक आ गए लोग एक-दूसरे पर बहुत गंभीरता से नजर रखते हैं और इससे इनको कई तरह की निराशाएँ और दुख हासिल होते हैं। ये निराशाएँ कई बार खुली बहस और एक-दूसरे पर दोषारोपण पर जाकर टिकती हैं। इससे उनमें बिछड़ने की स्थिति आ जाती है। आप इसे प्यार का गैर-जरूरी बोझ कह सकते हैं।
इस समझ का होना कि प्यार कभी भी आदर्श नहीं हो सकता, शायद प्यारभरे लंबे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण पूर्व शर्त है। यह शर्त न सिर्फ लंबे प्यारभरे जीवन का आधार है, बल्कि उस नजले-जुकाम के लिए वैक्सीनेशन की तरह है, जो नज़ला प्यार की निराशा का नतीजा होता है। यहीं से प्यार की परीकथाएँ शुरू होती हैं।