मध्यप्रदेश में भाजपा बाद कांग्रेस की ओर से 144 उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद अब चुनावी तस्वीर साफ होने लगी है। 21 अक्टूबर से नामांकन भरने का दौर शुरु होने से पहले दोनों ही पार्टी के उम्मीदवार अपनी चुनावी बिसात बिछा रहे है। प्रदेश का पूरा माहौल चुनावी हो गया है। 2018 विधानसभा चुनाव के बाद ग्वालियर-चंबल प्रदेश की सियासत का हॉटस्पॉट बना हुआ है।
2018 में कांग्रेस ने जिस ज्योतिरादित्य सिंधिया के चेहरे पर ग्वालियर चंबल की 34 सीटों मे से 27 सीटों पर जीत हासिल की थी वह ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भाजपा के साथ है। ऐसे में इस बार विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पूरी भाजपा की प्रतिष्ठा ग्वालियर-चंबल के साथ ग्वालियर में दांव पर लगी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद सबसे अधिक ग्वालियर-चंबल की राजनीति प्रभावित हुई है।
ग्वालियर की चुनावी बिसात-ग्वालियर-चंबल की राजनीति का मुख्य केंद्र ग्वालियर है। इसकी वजह ज्योतिरादित्य सिंधिया की गृह नगर ग्वालियर होने के साथ भाजपा के दूसरे दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का भी ग्वालियर से आना है। ऐसे में ग्वालियर जिले की 6 विधानसभा सीटों पर कौन किसके सामने आ चुका है और किस सीट पर अभी भी उम्मीदवारों का नामों का इंतजार है, आइए समझते है।
ग्वालियर जिले का चुनावी समीकरण समीकरण-ग्वालियर जिले में कुल 6 विधानसभा सीटें आती है। जिसमें 3 विधानसभा सीटें शहर में आती है और तीन विधानसभा सीटें ग्रामीण इलाकों में आती है। वर्मतान में जिले की 6 विधानसभा सीटों में 4 पर कांग्रेस और 2 पर भाजपा का कब्जा है। ग्वालियर और ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट पर भाजपा के विधायक है दोनों ही विधायक वर्तमान की शिवराज सरकार में मंत्री है। ग्वालियर जिले में ग्रामीण की तीनों सीटों पर चुनावी तस्वीर क्लियर हो गई है।
1-ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट-ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट से वर्तमान में भाजपा के विधायक भारत सिंह कुशवाह शिवराज सरकार में मंत्री उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री है और लगातार दो बार 2013 और 2018 से ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट से विधायक है। इस बार भी भाजपा ने भारत सिंह कुशवाह पर विश्वास जताकर मैदान में उतारा है। भारत सिंह कुशवाह लगातार क्षेत्र में डटे हुए है और वह विकास के मुद्दें पर चुनाव लड़ रहे है। भाजपा उम्मीदवार भारत सिंह कुशवाह के सामने कांग्रेस ने बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए साहब सिंह गुर्जर को चुनावी मैदान में उतारा है। साहब सिंह गुर्जर का टिकट होते ही कांग्रेस के टिकट के दूसरे दावेदार केदार कंसाना ने इस्तीफा दे दिया है। 2018 के विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़े साहिब सिंह गुर्जर का विरोध कंसाना के साथ स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता कर रहे है। ग्वालियर में पिछले दिनों हुए गुर्जर आंदोलन में शामिल साहब सिंह गुर्जर के खिलाफ fir होने का मुद्दा भी चुनाव में कांग्रेस पर भारी पड़ सकता है।
2-भितरवार विधानसभा सीट-भितरवार विधानसभा सीट भी ग्वालियर के ग्रामीण इलाके में आती है। कांग्रेस के टिकट पर पिछले तीन बार 2008,2013 और 2018 से चुनाव जीत रहे लाखन सिंह पर पार्टी ने फिर दांव लगाया है। वहीं कांग्रेस का गढ़ बन चुकी भितरवार सीट पर भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक मोहन सिंह राठौड़ को उम्मीदवार बनाया है। मोहन सिंह राठौड़ का टिकट होने के बाद भितरवार में अंदरखाने की सियासत में नई बनाम पुरानी भाजपा में टकराव भी देखा जा रहा है।
3-डबरा विधानसभा सीट-ग्वालियर के ग्रामीण क्षेत्र में आने वाली डबरा विधानसभा सीट पर मुकाबला उपचुनाव जैसा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में जीती लेकिन 2020 के उपचुनाव में हार का सामना करने वाली ज्योतिरादित्य सिंधिया की कट्टर समर्थक इमरती देवी को भाजपा ने एक और मौका दिया है। वहीं कांग्रेस ने उपचुनाव में जीतने वाली और इमरती देवी के समधी सुरेश राजे को फिर से मैदान में उतारा है। चुनाव से ठीक पहले सुरेश राजे का एक आपत्तिजनक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसके बाद उनके टिकट पर तलवार लटक रही थी लेकिन कमलनाथ ने फिर सुरेश राजे पर विश्वास जताया है।
4-ग्वालियर विधानसभा सीट-ग्वालियर विधानसभा सीट पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है और वर्तमान विधायक प्रदुमन सिंह तोमर को फिर भाजपा ने मौका दिया है। 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदुमन सिंह तोमर कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे लेकिन मार्च 2020 में वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे, बाद में उपचुनाव में भी प्रदुमन सिंह तोमर ने अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखा था। प्रदुमन सिंह तोमर की गिनती सिंधिया के कट्टर समर्थकों में होती है।
वहीं कांग्रेस ने अब तक इस सीट पर अपने पत्ते नहीं खोले है। कांग्रेस की ओर से टिकट के दावेदारों में मितेंद्र दर्शन सिंह, योगेंद्र सिंह तोमर और राजेंद्र नाती शामिल है। वहीं अटकलें इस बात की भी लगाई जा रही है कि कांग्रेस यहां से कोई नया नाम भी ला सकती है।
5-ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट-ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट पर वर्तमान में कांग्रेस में कांग्रेस का कब्जा है और मौजूदा विधायक प्रवीण पाठक को फिर पार्टी ने मौका दिया है। वहीं ग्वालियर दक्षिण सीट पर भाजपा अब तक अपना उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। 2018 के विधानसभा चुनाव में मामूली अंतर से हराने वाले नारायण सिंह कुशवाह इस बार भी टिकट की दावेदारी कर रहे है लेकिन पार्टी संगठन की ओर से उन्हें ओबीसी मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से उनकी दावेदारी कमजोर हो गई है। वहीं भाजपा की तरफ से टिकट की दूसरी मजबूत दावेदार पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में समीक्षा गुप्ता ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी। भाजपा इस बार समीक्षा गुप्ता को मौका दे सकती है।
6-ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट-ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट पर वर्तमान में कांग्रेस के सतीश सिकरवार का कब्जा है और पार्टी ने एक बार फिर उन पर दांव लगाया है। भाजपा ने अभी ग्वालियर पूर्व सीट पर अपने पत्ते नहीं खोले है। भाजपा इस सीट पर किसी पुराने चेहरों को मैदान में उतार सकती है।
ग्वालियर पूर्व ऐसी सीट है जो सिंधिया समर्थक के हारने के बाद उपचुनाव में कांग्रेस के खाते में गई थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल विधानसभा चुनाव जीते था। सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल होने के बाद उपचुनाव में मुन्नालाल गोयल भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े जहां उनका मुकाबला भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए सतीश सिकरवार से हुआ और चुनाव में मुन्नालाल गोयल को हार का सामना करना पड़ा था।