MP election 2023 : मध्यप्रदेश में सत्ता में वापसी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही कांग्रेस में 90 सीटों पर उम्मीदवारी को लेकर भारी उठापटक है। सबसे ज्यादा विवाद 20 विधानसभा क्षेत्र में है। यहां अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने के लिए बड़े नेता एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ सर्वे से हटकर टिकट देने के पक्ष में नहीं हैं। जिन 90 सीटों को लेकर ज्यादा उठापटक है, उनमें से 70 पर 2 से 3 नाम के पैनल हैं। 20 सीट ऐसी हैं जहां हर जगह आधा दर्जन से ज्यादा दावेदार हैं।
मंगलवार को दिल्ली में दिनभर चली कवायद के बाद स्क्रीनिंग कमेटी की दूसरी बैठक के बाद 121 नाम को हरी झंडी दे दी है। इन सीटों पर सिंगल नाम केंद्रीय चुनाव समिति को आगे बढ़ाए गए हैं। केंद्रीय चुनाव समिति के अनुमोदन के बाद उम्मीदवारों की अधिकृत घोषणा श्राद्ध पक्ष के बाद ही की जाएगी।
स्क्रीनिंग कमेटी ने मंगलवार की बैठक में सबसे पहले उन सीटों पर चर्चा की जहां अभी कांग्रेस के विधायक हैं। यहां ज्यादा विवाद नहीं था। ज्यादातर सीट पर पहले ही दौर में सिंगल नाम तय किए गए। इन सीट पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के सर्वे में एक जैसी ही रिपोर्ट आई थी।
16 वर्तमान विधायकों के क्षेत्र में उनसे बेहतर विकल्प सामने आने के कारण इन्हें अभी होल्ड पर रखते हुए पैनल बनाए गए हैं। जिन 16 विधायकों को होल्ड पर रखा गया है उनके बारे में स्क्रीनिंग कमेटी में एक बार फिर से चर्चा होगी। ऐसा बताया जा रहा है कि अभी स्क्रीनिंग कमेटी की तीन बैठक और होंगी, तभी 230 सीटों का मामला निपट पाएगा।
पटवारी के दखल से कमलनाथ नाखुश : गुरुद्वारा रकाबगंज रोड स्थित कांग्रेस वॉररूम पर मंगलवार को हुई बैठक में जो करीब 9 घंटे चली स्क्रीनिंग कमेटी के प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह, सदस्य अजय लल्लू, सप्तगिरी उल्का, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह के साथ ही प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला भी मौजूद थे।
प्रदेश चुनाव अभियान समिति के सहसंयोजक विधायक जीतू पटवारी भी कुछ देर के लिए स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक मालवा-निमाड़ के विधानसभा क्षेत्र के मामले में कमेटी ने पटवारी से भी राय ली। पटवारी की स्क्रीनिंग कमेटी में मौजूदगी को चौंकाने वाला माना गया। मालवा-निमाड़ से संबंधित कुछ सीटों पर पटवारी की राय से कमलनाथ बिलकुल सहमत नहीं थे।
श्राद्ध खत्म होने के बाद सूची : प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में एक राय से यह भी तय किया गया कि पहली सूची श्राद्ध पक्ष खत्म होने के बाद जारी की जाए लेकिन जिन सीट पर सिंगल नाम है वहां संबंधित नेता को उम्मीदवारी का संकेत दे दिया जाए ताकि वह तैयारी में लग जाए। वैसे जिन विधायकों को फिर मौका दिया जा रहा है, उन्हें प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ पहले ही संकेत दे चुके हैं और वे काम शुरू कर चुके हैं।
इन विधायकों की उम्मीदवारी खतरे में : स्क्रीनिंग कमेटी ने मालवा-निमाड़ के अधिकांश वर्तमान विधायकों को फिर मौका देने का निर्णय दिया है। जिन वर्तमान विधायकों की उम्मीदवारी खतरे में दिख रही है उनमें बडऩगर के विधायक मुरली मोरवाल, धरमपुरी के विधायक पांछीलाल मेड़ा, पेटलावद के विधायक वालसिंह मेड़ा के नाम शामिल है। हालांकि इन तीनों में विधानसभा क्षेत्र के लिए जो पैनल बने हैं, उनमें दूसरे दावेदारों की तुलना में यह तीनों विधायक ही वरीयता पर है।
इन सीटों पर कश्मकश : मोरवाल पर उनके पुत्र के आपराधिक प्रकरण भारी पड़ रहे हैं तो धरमपुरी सीट पर पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजू खेड़ी मेड़ा को बराबरी की टक्कर दे रहे हैं। पेटलावद में अकमल मालू भूरिया और रूप सिंह दावेदारी भी कमजोर नहीं है। इसके अलावा पानसेमल की विधायक चंद्रभागा किराड़े की उम्मीदवारी भी खतरे में पड़ सकती है। सेंधवा सीट को लेकर भी पार्टी में अलग-अलग राय सामने आ रही है।
जयस जुड़े नेताओं को मौका : भगवानपुर में पिछले चुनाव में निर्दलीय जीते केदार डाबर को कांग्रेस ने प्राथमिकता पर रखा है वहीं बुरहानपुर में अरुण यादव के विरोध के बावजूद सुरेंद्र सिंह शेरा को प्राथमिकता दी जा रही है। मालवा निमाड़ की 1-2 आदिवासी सीटों पर जयस से जुड़े नेताओं को भी कांग्रेस मौका दे सकती है। Edited by : Sudhir Sharma