कमलनाथ ने की शिवराज को पत्र लिखकर विधानसभा का बजट सत्र बढ़ाने की मांग

Webdunia
सोमवार, 7 मार्च 2022 (21:16 IST)
भोपाल। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर उनसे विधानसभा के बजट सत्र की अवधि 31 मार्च तक बढ़ाए जाने का अनुरोध किया।

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कमलनाथ ने चौहान को लिखे अपने पत्र में कहा कि विधानसभा का बजट सत्र आज सोमवार से 25 मार्च 2022 तक के लिए आहूत किया गया है। इसमें सदन की केवल 13 बैठकें होंगी। सदन की बैठकों में पहले दिन 7 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण उपरांत अगले दिन 8 मार्च को दिवंगत पूर्व सांसदों/ विधायकों एवं भारतरत्न लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि उपरांत तथा 9 मार्च को बजट प्रस्तुत होने के उपरांत सदन की कार्यवाही स्थगित होना संभावित है।
 
पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि शेष 10 दिवसों में बजट सत्र की संपूर्ण कार्यवाही को किया जाना है। इन बैठकों में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा, सामान्य बजट पर चर्चा, विभागों के अनुदान की मांगों पर चर्चा, सरकार की ओर से लाए जाने वाले महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा तथा महत्वपूर्ण अशासकीय संकल्प, ध्यानाकर्षण शून्यकाल आदि लोक महत्व के विषयों पर चर्चा होनी है, जो कि इतनी कम बैठकों में पूर्ण हो पाना संभव नहीं है।
 
उन्होंने कहा कि प्रदेश के आमजन के जीवन से जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण ज्वलंत समस्याओं की सदन में चर्चा एवं विचारण आवश्यक है। आज प्रदेश के किसानों को फसल बीमा राहत राशि के वितरण न होने, युवाओं की बेरोजगारी, प्रतिदिन प्रदेश में गौमाताओं की हो रही मृत्यु, बिगड़ती कानून एवं व्यवस्था तथा महिलाओं एवं बच्चों के साथ अपराध, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन को बहाल करने एवं उनसे जुड़े अन्य विषय, महंगाई, अवैध उत्खनन, कोरोन काल में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना से जुड़े विषय, मध्यान्ह भोजन, स्कूल ड्रेस व पोषण आहार में भ्रष्टाचार, पिछड़ा वर्ग की छात्राओं को स्कॉलरशिप न मिलना, संबल योजना में मृत्यु सहायता राशि के वितरण न होने जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर सदन में चर्चा कराई जाना आवश्यक है, इसलिए सदन बजट सत्र के कार्यदिवसों में वृद्धि किया जाना अत्यंत जरूरी है।
 
कमलनाथ ने कहा कि इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि विधानसभा के बजट सत्र की अवधि 31 मार्च, 2022 तक बढ़ाई जाए ताकि प्रदेश की आम जनता से जुड़े ज्वलंत एवं समसामयिक मुद्दों पर सार्थक चर्चा हो सके और इन समस्याओं के प्रभावी निराकरण में सदन अपनी भूमिका का निर्वहन कर सके।

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