मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज उज्जैन में शिप्रा तीर्थ परिक्रमा का शुभारंभ किया। इस पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मां शिप्रा तीर्थ परिक्रमा केवल यात्रा नहीं यह शिप्रा तट पर स्थित पुरातात्विक, आध्यात्मिक स्थलों के महत्व को बढ़ाने, सहेजने, संवारने का माध्यम बनेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा महाकाल की नगरी उज्जयिनी में पुण्य पावन सलिला मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पर शिप्रा तीर्थ परिक्रमा के शुभारंभ अवसर पर धर्म, आस्था और विश्वास का अद्भुत दृश्य निर्मित हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने रामघाट पर शिप्रा की पूजा-अर्चना अभिषेक व आरती कर ध्वज का पूजन किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश की नदियों, जल संरचनाओं के संरक्षण, संवर्धन और पुनरुद्धार को समर्पित जलाभिषेक अभियान का उपस्थित जन और प्रदेशवासियों को संकल्प दिलाकर शिप्रा तीर्थ परिक्रमा का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत प्रदेश में जल एवं पर्यावरण संरक्षण, नदी पुनरूद्धार एवं पौधारोपण के कार्य किये जा रहे हैं। भारत में जन्म होना भाग्य है और उज्जैन व उसके आसपास जन्म लेना सौभाग्य की बात है। पुण्य-सलीला शिप्रा में 11 नदियां समाहित है। इसके किनारे पर 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है। सभी तीर्थों में अवंतिका तीर्थ बड़ा माना जाता है। शिप्रा तीर्थ परिक्रमा केवल यात्रा नहीं यह शिप्रा तट पर स्थित पुरातात्विक, आध्यात्मिक स्थलों के महत्व को बढ़ाने, सहेजने, संवारने का माध्यम बनेगी। वैदिक घड़ी के माध्यम से उज्जैन का स्टेण्डर्ड समय देश-दुनिया के समय के रूप में पुनर्स्थापित होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की सुख-समृद्धि की कामना करते हुए परिक्रमा की सफलता के लिये बधाई दी।
पुष्प वर्षा से हुआ शिप्रा तीर्थ परिक्रमा का स्वागत-मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव संत समाज, श्रद्धालुओं और जनप्रतिनिधियों के साथ शिप्रा तीर्थ परिक्रमा में पैदल चलकर शामिल हुए। परिक्रमा करने वालों में अपार उत्साह था, तीर्थ यात्रियों के हाथों में परिक्रमा के ध्वज लहरा रहे थे। परिक्रमा मार्ग पर विभिन्न धार्मिक-सामाजिक और स्वयंसेवी संगठनों ने पुष्पवर्षा कर शिप्रा तीर्थ परिक्रमा का स्वागत किया।
गंगा दशहरा पर यात्रा का होगा समापन-शिप्रा तीर्थ परिक्रमा यात्रा रामघाट से प्रारंभ होकर नृसिंहघाट, आनन्देश्वर मंदिर, जगदीश मंदिर, गउघाट, जंतर-मंतर, वरूणेश्वर महादेव मंदिर (शीतल गेस्ट हाउस) से इन्दौर रोड सीएचएल अस्पताल, प्रशांतधाम मंदिर, गुरूकुल (त्रिवेणी) नवग्रह शनि मंदिर पहुंचेगी तथा यहां दोपहर का भोजन व विश्राम होगा। इसके पश्चात यात्रा गोठडा, सिंकदरी, दाउदखेड़ी, चांदमुख, चिंतामण, मंगरौला फंटा, लालपुल, भूखी माता मंदिर से गुरूनानक घाट होते हुए दत्त अखाडा पहुंचेगी। यहां पर रात्रि विश्राम किया जायेगा। इसके पश्चात रविवार 16 जून को घाट पर स्नान के पश्चात यात्रा रंजीत हनुमान, कालभैरव, सिद्धनाथ, अंगारेश्वर, कमेड, मंगलनाथ, सांदीपनी आश्रम, राम मंदिर, गढकालिका, भृर्तृहरि गुफा, ऋणमुक्तेश्वर, वाल्मीकी धाम चक्रतीर्थ, दानीगेट, ढाबारोड़, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा, महाकाल मंदिर, बडा गणेश मंदिर, हरसिद्धी से वापस रामघाट पहुंचेगी। यहां गंगा दशहरा पर यात्रा का समापन होगा।