भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा देखते ही देखते 100 को पार कर गया है। राजधानी में तेजी से बढ़ते कोरोना के मामलों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सीधे दखल के बाद अब जिले को पूरी तरह सील कर सख्ती से टोटल लॉकडाउन का पालन करवाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों कोरोना समीक्षा बैठक में अफसरों को भीलवाड़ा और कर्नाटक मॉडल का अध्ययन कर उसमें जो बेहतर हो उसको फौरन प्रदेश में लागू करने के निर्देश भी दिए थे। मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद भोपाल जिला प्रशासन ने कोरोना को लेकर जो तेजी से फैसले किए है वह कुछ उसी तरह है जैसे भीलवाड़ा जिला प्रशासन ने कोरोना को कंट्रोल करने के लिए किए थे।
भीलवाड़ा में कैसे काबू में आया कोरोना - ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर भीलवाड़ा के स्थानीय प्रशासन ने ऐसे क्या कदम उठाए थे जिससे जिले में कोरोना को लगभग कंट्रोल कर लिया गया। भीलवाड़ा के स्थानीय पत्रकार मुरली मनोहर सेन कहते हैं कि 18 मार्च को एक निजी अस्पताल के डॉक्टर के कोरोना पॉजिटिव होने का पहला मामला सामने आने के बाद शहर की सीमा में कफर्यू लगाकर उसे पूरी तरह सील कर दिया गया।
इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की तीन सौ से अधिक टीमों के साथ आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं की मदद से एक सप्ताह के अंदर लगभग पूरे शहर के लोगों की स्क्रीनिंग की गई इसकी संख्या में करीब 24 लाख के आसपास है। वह कहते हैं कि भीलवाड़ा में अगर कोरोना कंट्रोल में आया था उसमें यहां के लोगों की भी बहुत बड़ी भूमिका है। वह कहते हैं कि लोगों ने खुद से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने को संक्रमण के चपेट में आने से बचाया और पुलिस प्रशासन ने भी पूरा सहयोग दिया।
कोरोना संदिग्ध लोगों को होमक्वारेंटाइन करने के लिए शहर के सभी होटल,लॉज और धर्मशालाओं को आरक्षित कर वहां पर रखा गया। इसके साथ एक हजार से अधिक लोगों को होम आइसोलेट किया गया था। प्रशासन की इस सतर्कता के चलते आज कोरोना को कंट्रोल करने के लिए भीलवाड़ा मॉडल की देश भर में चर्चा हो रही है।
‘भीलवाड़ा मॉडल’ की राह पर भोपाल - वहीं दूसरी ओर भोपाल जिला प्रशासन भी अब भीलवाड़ा मॉडल को अपना रहा है। प्रशासन की मानें तो जिले में पहला कोरोना पॉजिटिव मामला सामने आने के अब तक तीन लाख से अधिक लोगों का सर्वे हुआ है जिसमें बाहर सौ से अधिक सैंपल लिए गए है जिमसें अब तक 100 से अधिक लोग पॉजिटिव पाए गए है। भोपाल में अब तक 70 से अधिक कंटेंटमेंट क्षेत्र बनाए गए है। भोपाल में लगातार कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद अब प्रशासन ने बड़े पैमाने पर लोगों की स्क्रीनिंग शुरु कर दी है। इसके साथ ही प्रशासन कोरोना संदिग्धों को क्वारेंटाइन रखने के साथ ही कोरोना पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में आने वालों को आइसोलेशन में रख रहा है।
अगर जमीनी हकीकत की बात करें तो भोपाल अब भी कोरोना से निपटने के लिए अब भी ‘भीलवाड़ा मॉडल’ से बहुत पीछे नजर आ रहा है। भीलवाड़ा में भोपाल से दो दिन पहले यानि 20 मार्च तक एक साथ छह लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे वहीं राजधानी में पहला कोरोना पॉजिटिव मामला 22 मार्च को आया था। अगर वर्तमान हालात की बात करें तो भोपाल में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 100 पार हो गया है और एक कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत हो गई है वहीं दूसरी ओर भीलवाड़ा में गिनती के कोरोना पॉजिटिव मरीज बचे है और उनकी सेहत में लगातार सुधार होने के बाद वह जल्द ही अस्पताल से डिस्चार्ज हो सकते है।