नगर के मुख्य द्वार पर इस प्रतिमा की स्थापना किसने की इसका उल्लेख तो कहीं नहीं मिलता है, परंतु पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार यह प्रतिमा 500 वर्ष से अधिक पुरानी होकर गोबर से निर्मित है। गोबर के श्रीगणेश की इस विशाल प्रतिमा के साथ-साथ आसपास रिद्धि-सिद्धि की प्रतिमाएं भी विराजित हैं। साथ ही प्रतिमा के पैरों के समीप मूषक बना हुआ है और गणेश के एक हाथ में लड्डू है।
यूं तो हमेशा ही इन मंगलमूर्ति गणेश के दर्शन के लिए भक्तों का तांता रहता है, लेकिन गणेशोत्सव के दौरान भक्तों संख्या कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। इस दौरान भगवान गणेश का मनोहारी श्रृंगार किया जाता है साथ ही आकर्षक विद्युत सज्जा अपनी अलग ही छटा बिखेरती है।