मध्यप्रदेश में स्कूलों मे नया सेशन शुरु होने के साथ किताबों और यूनिफॉर्म की दुकानों पर पेरेंट्स की खासी भीड़ देखी जा रही है। इंदौर कलेक्टर ने जिले में धारा-144 के तहत स्कूल संचालकों को विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए है। कलेक्टर ने स्कूल ड्रेस और कॉपी- किताबों के संबंध में स्कूल संचालकों, प्रकाशकों एवं विक्रेताओं के एकाधिकार को खत्म करने के लिए यह आदेश जारी किए है। स्कूलों के लिए तत्काल प्रभाव से लागू होने वाला आदेश नहीं मानने पर स्कूल संचालक और प्रिसिंपल सहित बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सभी सदस्य दोषी होंगे और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वहीं इंदौर कलेक्टर के आदेश की तारीफ गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने की है। उन्होंने कहा कि इंदौर प्रशासन का यह एक अच्छा निर्णय है। स्कूल जाने पर बच्चों को विशेष दुकान से किताब खरीदने को कहा जाता है और स्कूलों में यूनिफॉर्म हर साल बदल जाती है। इंदौर में शैक्षणिक संस्थानों में अकारण के खर्चों पर रोक लगाने के लिए अच्छी पहल की गई है।
क्या है स्कूल संचालकों के लिए आदेश?- स्कूल संचालक और प्रिसिंपल स्कूल हर क्लास के लिए अनिवार्य किताबों की सूची को रिजल्ट आने से पहले स्कूल की वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से अपलोड करेंगे और स्कूल परिसर में सार्वजनिक स्थान पर किताबों की लिस्ट को चस्पा करेंगे। इसके साथ ही पुस्तकों की सूची की एक कॉपी अभिभावकों को एडमिशन के समय और रिजल्ट के समय़ उपलब्ध करायेंगे।
स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को किताबें रिजल्ट आने से पहले खरीदने के लिए बाध्य नहीं करेंगे। अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 जून 2023 तक खरीद सकेंगे। ऐसी स्थिति में अप्रैल माह में प्रारंभ होने वाले शैक्षणिक सत्र में 01 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच विद्यार्थियों के ओरिएंटेशन, व्यावहारिक व मनोवैज्ञानिक पध्दति से शिक्षण में किया जाएगा।
स्कूल संचालक जिस नियामक बोर्ड यथा सी.बी.एस.ई./आई.सी.एस.ई./ माध्यमिक शिक्षा मण्डल से संबंद्ध है उस संस्था के द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम व पाठ्यक्रम के अन्तर्गत नियामक संस्था अथवा उसके द्वारा विधिक रूप से अधिकृत एजेंसी यथा एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तक निगम आदि के द्वारा प्रकाशित एवं मुद्रित पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य प्रकाशकों / मुद्रकों द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकों को विद्यालय में अध्यापन हेतु प्रतिबंधित करेंगे।
स्कूल संचालक सुनिश्चित करेंगे कि उक्त के अतिरिक्त अन्य विषयों जैसे नैतिक शिक्षा, सामान्य ज्ञान, कम्प्यूटर आदि की निजी प्रकाशकों/मुद्रकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकें क्रय करने हेतु बाध्य नहीं किया जायेगा। स्कूल संचालक द्वारा विद्यार्थियों/अभिभावकों को पुस्तकें, कापियाँ, संपूर्ण यूनिफार्म आदि संबंधित स्कूल / संस्था अथवा किसी भी एक दुकान /विक्रेता/संस्था विशेष से क्रय किये जाने हेतु बाध्य नहीं किया जायेगा ।
स्कूल संचालक / विक्रेता द्वारा पुस्तकों के सेट की कीमत बढ़ाने हेतु अनावश्यक सामग्री जो निर्धारित पाठ्यक्रम से संबंधित नहीं है का समावेश सेट में नहीं किया जायेगा । कोई भी विक्रेता किसी भी कक्षा के पूरे सेट को क्रय करने की बाध्यता नहीं रखेगा। यदि किसी विद्यार्थी के पास पुरानी किताबें उपलब्ध हो तो उसके केवल उसकी आवश्यकता की पुस्तकें को ही विक्रेता द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा ।
नोट-बुक (कॉपी) पर ग्रेड किस्म, साईज, मूल्य पेज आदि की संख्या स्पष्ट रूप से उल्लेखित होना चाहिए, किसी पुस्तक /कॉपी अथवा इन पर चढ़ाये जाने वाले कव्हर पर विद्यालय का नाम मुद्रित नहीं किया जायेगा ।
कोई भी विद्यालय अधिकतम दो से अधिक यूनिफार्म निर्धारित नहीं कर सकेंगे, ब्लेजर इसके अतिरिक्त होगा, विद्यालय प्रशासन के द्वारा स्कूल यूनिफार्म का निर्धारण इस प्रकार किया जायेगा कि कम से कम 03 सत्र तक उसमें परिवर्तन नहीं हो। विद्यालय प्रशासन द्वारा वार्षिकोत्सव अथवा अन्य किसी आयोजन पर किसी भी प्रकार की वेशभूषा को विद्यार्थियों / पालकों को क्रय करने हेतु बाध्य नहीं किया जायेगा ।
जिन विषयों के संबंध में नियामक संस्था के द्वारा कोई पुस्तक प्रकाशित मुद्रित नहीं की गई है उस विषय से संबंधित किसी अन्य पुस्तक को अनुशंसित करने के पूर्व स्कूल संचालक सुनिश्चित करेंगे कि उक्त पुस्तक की पाठ्यसामग्री ऐसी आपत्तिजनक नहीं हो जिससे लोक प्रशांति भंग होने की संभावना हो।