इसके साथ ही पार्टी ने गुजरात से सटे झाबुआ में चुनाव प्रचार के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा और गुजरात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष परेश भाई धनानी को भी स्टार प्रचारक बनाया है। पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि आदिवासी बहुल्य इस इलाके में आज भी गांधी परिवार का काफी असर देखने को मिलता है इसलिए पार्टी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अपना स्टार प्रचारक बनाया है।
झाबुआ उपुचनाव के नतीजे मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के 9 महीने कामकाज पर एक तरह से अपनी मोहर लगाएंगे। विधानसभा में विधायकों की संख्या के अंकगणित के हिसाब से भी झाबुआ चुनाव बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है। सदन में मौजूदा समय में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 114 और अगर पार्टी झाबुआ सीट पर जीत हासिल कर लेती है तो 230 सदस्यीय विधानसभा में उसके सदस्यों की संख्या 115 पहुंच जाएगी। वहीं निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल पहले से ही सरकार में कैबिनेट मंत्री है जो उनको मिलाकर कांग्रेस अपने बल पर सदन में बहुमत का आंकड़ा पार कर लेगी।
मोदी –शाह ने बनाई दूरी – भाजपा विधायक के इस्तीफे से खाली हुई झाबुआ सीट पर हो रहे उपचुनाव से एक तरह से पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अपनी दूरी बना ली है। पार्टी ने उपचुनाव क लिए 40 सदस्यीय स्टार प्रचारकों की जो सूची जारी की है उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का नाम नहीं शामिल है। पार्टी की सूची में केंद्रीय स्तर पर केवल पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा का नाम शामिल है। इसके बाद सियासी गालियारों में इस बात की चर्चा जोरों से है कि क्या पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने झाबुआ उपचुनाव से दूरी बना ली है।
सोमवार को झाबुआ सीट पर पार्टी उम्मीदवार भानू भूरिया के नामांकन में प्रदेश भाजपा ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने चुनाव में राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाते हुए इसे हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच चुनाव बता डाला। इसके बाद प्रदेश की सियासत गर्म हो गई है और सवाल यहीं उठा रहा है कि क्या भाजपा राष्ट्रवाद के सहारे झाबुआ की चुनावी नैय्या पार करने की तैयारी में है।