मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इंदौर के एक थाने के प्रभारी को निर्देश दिया है कि वह सोशल मीडिया मंच एक्स पर दो साल पहले कथित रूप से सांप्रदायिक तौर पर भड़काऊ पोस्ट डालने को लेकर राज्य के काबीना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ एक कांग्रेस नेता की दर्ज शिकायत पर विचार करके उचित कदम उठाए।
हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा ने कांग्रेस नेता अमीनुल खान सूरी की याचिका का 16 अप्रैल को निपटारा करते हुए यह निर्देश दिया। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि वह इस याचिका के गुण-दोषों पर कोई राय जाहिर नहीं कर रही है।
याचिका में सूरी ने आरोप लगाया है कि उनकी ओर से विजयवर्गीय के खिलाफ ठीक दो साल पहले 16 अप्रैल 2022 को तिलक नगर थाने में दर्ज कराई गई शिकायत पर कोई कदम नहीं उठाया गया है।
उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने तिलक नगर थाने के प्रभारी को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता की शिकायत पर विचार करे और अदालत के आदेश के प्रमाणित प्रतिलिपि मिलने के 90 दिन के भीतर इस मामले में उचित कदम उठाए।
सूरी ने हाईकोर्ट के आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि तिलक नगर थाने में सोमवार शाम प्रस्तुत की। इसके बाद कांग्रेस नेता ने प्रेस कॉन्फेंस में उन्होंने इस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि विजयवर्गीय ने 14 अप्रैल 2022 को अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) खाते पर एक वीडियो के साथ पोस्ट डाली थी जिसमें कथित तौर पर सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ शब्दों का इस्तेमाल किया गया था।
सूरी ने दावा किया कि विजयवर्गीय की पोस्ट में इस वीडियो को मध्यप्रदेश के खरगोन कस्बे का बताया गया, जबकि यह वीडियो असल में तेलंगाना का था।
उन्होंने मांग की कि कथित रूप से भड़काऊ पोस्ट के लिए विजयवर्गीय के खिलाफ भारतीय दंड विधान और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत बिना किसी देरी के प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए।
खरगोन में 10 अप्रैल 2022 को रामनवमी की शोभायात्रा निकलने के बाद भड़के दंगों के कारण कर्फ्यू लगा दिया गया था। यह कर्फ्यू दंगों के 24 दिन बाद हटाया गया था। भाषा