भोपाल। राजस्थान के बाद मध्यप्रदेश में लंपी वायरस के बढ़ते मामलों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज स्थिति को लेकर एक आपात बैठक की। बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि लंपी वायरस से बचाव के उपायों की जानकारी पशुपालकों को ग्राम सभा में बुलाए जाए और उनको जरूरी निर्देश दिए जाए। इसके साथ प्रदेश की सभी गौ शालाओ में टीकाकरण के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जाए। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा मध्यप्रदेश में पशुओं को लंपी वायरस से बचाने के लिए पशुओं को मुफ्त टीका लगाया जाएगा।
कोरोना की तरह पशुओं मे लंपी वायरस- बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पड़ोसी राज्यों में जिस तरह गाय और बाकी पशुओं की मृत्यु हुई वह दृश्य हमने देखे हैं किसी भी कीमत पर हमें उस स्थिति को पैदा नहीं होने देना है। यह एक तरीके से पशुओं में कोविड जैसा ही है कई चीजों से यह फैलता है मक्खी से, मच्छरों से, आपस में मिलने से, साथ रहने से, यह फैलने वाली संक्रामक बीमारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लंपी वायरस का मामला बहुत गंभीर है और इसे बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है। जैसे हम कोविड के खिलाफ लड़े थे वैसे ही पशुओं का जीवन बचाने के लिए हम इस लंपी वायरस से लड़ेंगे।
हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर जारी- प्रदेश में लंपी वायरस के बढ़ते मामलों के बाद सरकार ने पशुपालों के टोल फ्री नंबर जारी किए है। पशुपालक टोल फ्री नंबर-1962 और भोपाल में राज्य स्तरीय रोग नियंत्रण कक्ष के दूरभाष क्रमांक 0755-2767583 पर बीमारी से संबंध में अधिक जानकारी ले सकते है। इसके साथ पशुपालन एवं डेयरी विभाग मध्यप्रदेश द्वारा प्रदेश में रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु अलर्ट जारी कर विशेष सतर्कता रखी जा रही है।
गुजरात,राजस्थान से सटे जिलों में धारा-144-लंपी वायरस के बढ़ते मामलों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संक्रमित पशुओं के आवागमन को तत्काल प्रतिबंधित करने के निर्देश दिए। गुजरात और राजस्थान की सीमा से लगे जिलों में धारा 144 लगा कर पशुओं का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया है।लंपी वायरस को प्रदेश में फैलने से रोकने और बीमारी को नियंत्रित करने के लिए प्रभावित ग्रावों और जिलों में पशुओं के आवागमन को प्रतिबंधित किया गया है।
क्या है लंपी वायरस के लक्षण?-लंपी स्किन बीमारी गौ वंशीय और भैंस वंशीय पशुओं में वायरस से होती है। संक्रमित पशु को हल्का और तेज बुखार आना, मुँह से अत्यधिक लार तथा आंखों एवं नाक से पानी बहना, भूख न लगना, त्वचा पर गठाने और मुंह में छाले आना इसके प्रमुख लक्षण है। वहीं संक्रमित पशुओं के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में 02 से 05 सेंटीमीटर आकार की गठानें बन जाना भी एक प्रमुख लक्षण है। संक्रमित पशुओं में लिंफ नोड्स तथा पैरों में सूजन एवं दुग्ध उत्पादन में गिरावट आना भी बीमारी के लक्षण है। इसके साथ गर्भवती पशुओं में गर्भपात एवं कभी-कभी पशु की मृत्यु होना।
लंपी वायरस से रोकथाम और बचाव के उपाय-लंपी वायरस से बचाव और इसके रोकथाम के लिए संक्रमित पशु और पशुओं के झुण्ड को स्वस्थ पशुओं से पृथक रखना। कीटनाशक और विषाणु नाशक से पशुओं के परजीवी कीट, किलनी, मक्खी, मच्छर आदि को नष्ट करना। पशुओं के आवास-बाड़े की साफ सफाई रखना। संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन को रोका जाना। रोग के लक्षण दिखाई देने पर अविलंब पशु चिकित्सक से उपचार कराना। क्षेत्र में बीमारी का प्रकोप थमने तक पशुओं के बाजार, मेले आयोजन तथा पशुओं के क्रय-विक्रय आदि को रोकना और स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराना शामिल है।