भोपाल। मध्यप्रदेश में पिछले 15 दिनों से जारी सियासी दांवपेंच की लड़ाई अब धीरे धीरे राज्यपाल और सरकार के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष के अधिकारों के टकराव पर पहुंचती दिख रही है। राज्यपाल लालजी टंडन ने कमलनाथ सरकार को अल्पमत की सरकार बताते हुए बजट सत्र के पहले दिन अपने अभिभाषण के तुरंत बाद फ्लोर टेस्ट कराने का जो निर्देश दिए था उसको अब एक तरह से सरकार ने मानने से इंकार कर दिया है।
वेबदुनिया से बातचीत में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं सदन की कार्यवाही चलाने के लिए स्पीकर पूरी तरह से स्वतंत्र है। वह कहते हैं कि सदन (विधानसभा) राज्यपाल के निर्णय को मानती है या नहीं यह पूरी तरह से उसपर निर्भर होगा। वह कहते हैं संविधान के मुताबिक राज्यपाल किसी भी विषय पर संदेश भेज सकते है और सदन (विधानसभा) को उनके संदेश पर तुरंत विचार करना चाहिए।