मध्यप्रदेश जल्द लॉन्च करेगा जल नीति, वॉटर विजन-2047 सम्मेलन में बोले सीएम शिवराज, जनभागीदारी की बताई जरूरत
भोपाल। पानी के महत्व को लोगों को समझाने के लिए मध्यप्रदेश जल नीति बना रहा है और अगले एक से डेढ़ महीन में जल नीति को लॉन्च कर दिया जाएगा। आज भोपाल में पहले अखिल भारतीय राज्य मंत्रियों के सम्मेलन 'वॉटर विजन-2047' में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बात का जानकारी देते हुए कहा मध्यप्रदेश अपनी जलनीति बना रहा है। जिसमें पानी बचाने, कैसे पानी बढ़ाएं, कैसे वर्षा जल को रोककर रखें, कैसे वेस्ट वॉटर को रिसाइकिल करके उपयोग में लाएं इन सभी बातों को शामिल किया जाएगा।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा वॉटर विजन-2047 सम्मेलन इस दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा और दो दिन के मंथन का जो अमृत निकलेगा उसको मध्यप्रदेश की जलनीति में शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनभागीदारी से हम वॉटर विजन 2047 के लक्ष्यों को प्राप्त करने का हरसंभव प्रयास करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वॉटर विजन 2047 भोपाल में हो रहा है,और भोपाल जल प्रबंधन का उत्तम उदाहरण है। हमारे यहां एक कहावत है तालों में भोपाल ताल बाकी सब तलैया। भोपाल ताल को बने हुए 1000 साल से ज्यादा हो गए। राजा भोज की प्रतिमा हमने इसी तालाब में लगवाई है। आज भी भोपाल को एक तिहाई पेयजल की आपूर्ति से बड़े तालाब से होती है। मुख्मंत्री ने कहा कि आज मध्यप्रदेश में इंदौर वॉटर प्लस सिटी घोषित हो चुका है।
वॉटर विजन-2047 का सम्मेलन-भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे हॉल में आयोजित प्रथम अखिल भारतीय राज्य मंत्रियों का सम्मेलन 'वॉटर विजन 2047' में केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत केंद्रीय राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल के साथ शिवराज सरकार में कैबिनेट साथी तुलसी सिलावट और भारत सिंह कुशवाह शामिल हुए। कार्यक्रम को वीडियो कॉफ्रेंसिग के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जल संरक्षण के लिए जन भागीदारी की सोच को जनता के मन में जगाना है। हम इस दिशा में जितना ज़्यादा प्रयास करेंगे उतना ही अधिक प्रभाव पैदा होगा। 'स्वच्छ भारत अभियान' से जब लोग जुड़े तब जनता में भी चेतना और जागरूकता आई। सरकार ने संसाधान जुटाए, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और शौचालय जैसे अनेक कार्य किए। लेकिन अभियान की सफलता तब सुनिश्चित हुई जब जनता ने सोचा कि गंदगी नहीं फैलानी है, जनता में यही सोच जल संरक्षण के लिए भी जगानी होगी।