इंदौर (मध्य प्रदेश)। इस साल सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की चाल दुनियाभर के खगोल प्रेमियों को एक पूर्ण सूर्यग्रहण समेत ग्रहण के 4 रोमांचक दृश्य दिखाएगी। हालांकि भारत में इनमें से केवल 2 खगोलीय घटनाएं निहारी जा सकेंगी।
उज्जैन की प्रतिष्ठित शासकीय जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने बुधवार को बताया कि इस साल ग्रहणों का सिलसिला 20 अप्रैल को लगने वाले पूर्ण सूर्यग्रहण से शुरू होगा। गुप्त ने बताया, नववर्ष का यह पहला ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा। उन्होंने बताया कि पांच और छह मई की दरमियानी रात लगने वाला उपच्छाया चंद्रग्रहण भारत में देखा जा सकेगा।
गौरतलब है कि उपच्छाया चंद्रग्रहण उस समय लगता है, जब पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा चंद्रमा 'पेनुम्ब्रा' (धरती की परछाई का हल्का भाग) से होकर गुजरता है। इस समय चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी आंशिक तौर पर कटी प्रतीत होती है और ग्रहण को चंद्रमा पर पड़ने वाली धुंधली परछाई के रूप में देखा जा सकता है। उपच्छाया चंद्रग्रहण के वक्त पृथ्वीवासियों को पूर्णिमा का चंद्रमा पूरा तो दिखाई देता है, लेकिन उसकी चमक कहीं खोई-खोई नजर आती है।