गौरतलब है कि पिछले कई वर्षों से समूचा बुंदेलखंड सूखे की मार को झेल रहा है, ऐसे में अच्छी बारिश की कामना को लेकर आषाढ़ महोत्सव मनाते हुए न सिर्फ इन्द्रदेव का आह्वान किया गया बल्कि मेंढक-मेंढकी की विधि-विधान के अनुसार अनोखी शादी भी करवाई गई, साथ ही बुंदेलखंड की प्राचीन परंपराओं को पुनर्जीवित करते हुए भटा गकरिया (टिक्कड़) के भोज का आयोजन भी किया गया।
अच्छी बारिश के लिए देवी-देवताओं से कामना करना था। मान्यता है कि मेंढक-मेंढकी की शादी करने, देवस्थान पर भटा गकरिया का भोज करने एवं इन्द्रदेव का आह्वान करने से अच्छी बारिश होती है और इसी कड़ी में यह अनोखा आयोजन छतरपुर के फूलादेवी मंदिर में किया गया जिसमें महिलाओं व बच्चों सहित सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।