बुंदेलखंड में बढ़ते तापमान के साथ बेतहाशा गर्मी अब लोगों की जान पर बन पड़ी है। एक ओर जहां लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं, वहीं बीमारी और लू के चलते कई लोगों की जानें भी चली गईं। भूजल स्तर गिरने से ज्यादातर जलस्रोतों ने दम तोड़ दिया है।
पूरे गांव की आवादी करीब 5 हजार 500 है। यहां 10 हैंडपंप और 8 सार्वजनिक कुएं हैं, जिनमें से दो अब भी अधूरे पड़े हैं। गांव में मात्र दो हैंडपंप ही अभी काम कर रहे हैं। इनमें भी घंटों हाथ चलाना पड़ता है तब कहीं थोड़ा सा पानी मिल पाता है। अन्य जलस्रोत भी जवाब दे चुके हैं।
इलाके में जलसंकट की स्थिति यह है कि लोग कुएं में उतरकर कीचड़ युक्त पानी को साड़ी के पल्लू और चुनरी, दुपट्टे से छानकर भर रहे हैं। फिलहाल सरपंच गांव में टेंकर पहुंचाने और पानी सप्लाई करने की बात कर रहे हैं। कुओं का गहरीकरण का काम भी शुरू कर दिया गया है। गांव में टंकियां भी बांटी जा रही हैं।
सरपंच के मुताबिक गांव में नल-जल योजना के तहत बोर हो गया है, जिसमें चार इंची पानी है, लेकिन अभी तक पीएचई विभाग द्वारा बोर में पंप नहीं लगाया गया है। यदि बोर में पंप लग जाए तो समस्या का समाधान चुटकियों में हो जाए पर संबंधित अधिकारी और कर्मचारी कुंभकर्णी नींद सो रहे हैं।