नीमच जिले की कनावटी जेल ब्रेक के मास्टरमाइंड विनोद दांगी को नीमच पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इस गिरफ्तारी के बाद यह माना जा रहा है की फरार चारों कैदी जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में होंगे, वहीं पुलिस जांच में जेल प्रहरियों की मिलीभगत भी उजागर हुई है।
पुलिस भी यह मान रही है की लंबे समय तक पदस्थ रहने के कारण जेल और पुलिस में नीचे के स्टाफ की ड्रग डीलरों से मिली भगत हो सकती है।
इस मामले में जानकारी देते हुए एसपी नीमच राकेश कुमार सगर ने बताया की कनावटी जेल ब्रेक के बाद हुए अनुसंधान में पता चला कि जेल ब्रेक का मास्टरमाइंड विनोद दांगी है, जो एनडीपीएस का आरोपी होकर डोडा चूरा तस्करी के आरोप में साढ़े तीन महीने से बंद था।
दांगी की जमानत पर रिहाई 11 जून को हुई थी और यह 17 जून से लगातार जेल जा रहा था। कई बार इसका नाम मुलाकातियों के रजिस्टर में दर्ज हुआ, कई बार दर्ज नहीं भी हुआ। इसी ने जेलब्रेक की पूरी पटकथा लिखी।
विनोद दांगी निवासी गांव सुवाखेड़ा, थाना जावद, जिला नीमच को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और उससे कड़ी पूछताछ के बाद कई अहम सुराग पुलिस को मिले हैं। इस बीच, एमपी पुलिस की करीब 10 पार्टियां अलग-अलग स्थानों पर फरार कैदियों की केडियोकि गिरफ्तारी के लिए रवाना हो गई हैं।
गौरतलब है कि नीमच की कनावटी उपजेल में बीती 23 जून की रात को जेल ब्रेक हुई थी और चार कैदी 3 से 4 बजे के दरमियान नाहरसिंह पिता बंसीलाल बंजारा उम्र 20 वर्ष निवासी ग्राम गणेशपुरा थाना भिंडर जिला उदयपुर एनडीपीएस में 10 साल की सजा, पंकज पिता रामनारायण मोंगिया उम्र उम्र 21 वर्ष निवासी ग्राम नलवाई थाना बड़ी सादड़ी जिला चित्तौड़ एनडीपीएस में सजायाफ्ता, लेखराम पिता रमेश बावरी उम्र 29 वर्ष निवासी ग्राम चंदवासा थाना मल्हारगढ़ जिला मंदसौर लूट और मर्डर मामले का आरोपी, दुबेलाल पिता दशरथ धुर्वे उम्र 19 वर्ष निवासी ग्राम गोगरी थाना नौगांव जिला मंडला 376 में 10 वर्ष की सजा कटा रहा था।
बैरकों की सलाखें काटकर रस्सी के सहारे जेल की 22 फुट ऊंची दीवार को लांघकर फरार हुए कैदियों के इस मामले ने तूल पकड़ा हुआ था। इस मामले में एसपी सगर ने खुलासा किया कि इस जेल ब्रेक में जेल प्रहरियों की मिलीभगत भी सामने आई है। क्योंकि जेल में कटर और मोबाइल बिना जेल प्रहरियों की मदद के नहीं पहुंच सकता, वहीं जेलब्रेक का ऑपरेशन करीब दो घंटे चला उस समय दो जेल प्रहरियों की तैनाती थी। ऐसा भी नहीं हो सकता की उनको इस घटना का पता नहीं हो।
ऐसे में पुलिस जांच के घेरे में ये जेलप्रहरी भी आ रहे हैं, जिनके खिलाफ षड्यंत्र की धारा 120बी आईपीसी के तहत एफआईआर हो सकती है, वहीं एसपी सगर ने यह भी माना की जेल और पुलिस में जो नीचे का स्टाफ है, उसके लंबे समय से एक ही स्थान पर पदस्थ रहने के कारण उनके संबंध ड्रग डीलरों से हो सकते हैं। ऐसे में इस मामले में पूरी स्क्रूटनी की ज़रूरत है।