RSS की पसंद का होगा मध्यप्रदेश का नया भाजपा अध्यक्ष, मोहन भागवत के भोपाल दौरे से बढ़ी सियासी हलचल

विकास सिंह

मंगलवार, 4 मार्च 2025 (17:35 IST)
भोपाल। देश में भाजपा के सबसे मजबूत संगठन वाले राज्य मध्यप्रदेश में पार्टी की कमान अब किसके हाथों में होगी यह सवाल अब बड़ा होता जा रहा है। मध्यप्रदेश में भाजपा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर हो रही देरी से अब पार्टी के कार्यकर्ता भी बैचेन नजर आ रहे है। प्रदेश भाजपा मुख्यालय पहुंचने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं के जेहन में एक ही सवाल है कि पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा। इस बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत के भोपाल दौरे को लेकर भी सियासी अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।

संघ प्रमुख के भोपाल दौरे से बढ़ी गहमागहमी-प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चुनाव से पहले भोपाल में संघ प्रमुख मोहन भागवत के प्रवास से सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। दरअसल संघ प्रमुख मोहन भागवत भोपाल में आज से विद्याभारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान (वीबीएबीएसएस) के पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं के पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के औपचारिक उद्घाटन में पहुंचे थे। यह शिविर भोपाल के सरस्वती विद्या मंदिर आवासीय विद्यालय, शारदा विहार में आयोजित किया गया है। संघ प्रमुख के साथ सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल और संघ के शीर्ष पदाधिकारी भी भोपाल में मौजूद है। मध्य प्रदेश जहां संघ की गहरी पैठ है और वहां पर भाजपा का अध्यक्ष भी संघ की मर्जी से ही होगा। ऐसे में संघ प्रमुख के भोपाल दौरे से एक बार फिर सियासी अटकलों का दौर तेज हो गया है।

जातीय समीकरण को साधने की कवायद- भाजपा की शीर्ष नेतृत्व में प्रदेश अध्यक्ष के जरिए क्या एक बार फिर जातीय समीकरण साधेगी, यह भी एक बड़ा सवाल है। मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के होने के चलते इस बात की संभावना अधिक है कि सामान्य वर्ग से आने वाले नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाएगी। अगर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए सामान्य वर्ग से दावेदारों को देखे तो नरोत्तम मिश्रा के साथ पूर्व सांसद और भाजपा विधायक हेमंत खंडेलवाल का नाम भी सबसे आगे है। कुशल संगठनकर्ता और संघ के करीबी होने के साथ विवादों से दूर हेमंत खंडेलवाल के नाम पर सहमति बनने की खबरें भी खूब चर्चा में रही लेकिन अब तक पार्टी ने कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

इसके साथ सामान्य वर्ग से आने वाले पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी अध्यक्ष पद की रेस में है। पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भले ही विधानसभा चुनाव दतिया से हार गए हो लेकिन वह भोपाल से लेकर दिल्ली तक सक्रिय है। उनकी गिनती अमित शाह के करीबियों में होती है और पिछले दिनों भाजपा की न्यू ज्वाइनिंग टोली के प्रमुख के तौर पर उन्होंने कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को भाजपा में शामिल कराके अपनी संगठनात्मक क्षमता का परिचय दिया। पिछले दिनों नरोत्तम मिश्रा की पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मुलाकात की तस्वीरें भी खूब चर्चा में रही। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने नरोत्तम मिश्रा को बड़ी जिम्मेदारी थी।

वहीं प्रदेश में भाजपा किसी आदिवासी या दलित चेहरे पर भी दांव लगा सकती है। मंगलवार को भोपाल में मुख्यमंत्री निवास पर जनजातीय लोकोत्सव का आयोजन यह बताता है कि भाजपा की नजर प्रदेश में 2 करोड़ आदिवासी वोटरों पर टिकी है। ऐसे में भाजपा आदिवासी वर्ग को साधने के लिए किसी आदिवासी चेहरे पर भी दांव लगा सकती है। इसके  साथ ही भाजपा की नजर दलित वोट बैंक पर भी है, इसलिए दलित वर्ग से आने वाले नेता भी अध्यक्ष पद को लेकर अपने सियासी मैनेजमेंट में जुटे है। 

नए चेहरे पर लग सकता है दांव?-मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष को लेकर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व किसी नए चेहरे पर दांव लगाकर एक बार फिर चौंका सकती है। विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने सभी दिग्गज चेहरों को दरकिनार कर चौंकाने वाला फैसला करते हुए डॉ. मोहन यादव के नाम पर मोहर लगाई थी वैसा ही प्रयोग अगर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में कोई चौंकाने वाला फैसला करती है तो पार्टी के दिग्गज नेताओं के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती होगी। 
 

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