उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डी.के. पालीवाल ने 15 अक्टूबर को जारी आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ता को कुछ शर्तों के साथ जमानत पर रिहा किया जा सकता है, जो उसके अंदर उस देश के प्रति जिम्मेदारी और गर्व की भावना पैदा कर सकती है, जहां उसका जन्म हुआ और वह रह रहा है।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि वह खुलेआम उस देश के खिलाफ नारे लगा रहा है जिसमें वह पैदा हुआ और पला-बढ़ा है। अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी ने पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए थे, जो विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने के समान था और उसका कृत्य सद्भाव और राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक था।(भाषा)