मध्यप्रदेश 2015 : शिवराज ने तोड़ा दिग्विजय का रिकॉर्ड
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति के लिए ये पूरा साल उतार-चढ़ावों के दौर से भरा रहा। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल के 10 साल पूरे करके पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का रिकॉर्ड तोड़ा।
इस साल व्यापमं घोटाले की गूंज पूरे देश में सुनाई देने और कथित तौर पर घोटाले से जुड़ी कई लोगों की मौत के चलते पद छोड़ने की विपक्ष की चहुंओर मांग के बीच प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल के 10 साल पूरे करके पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का रिकॉर्ड तोड़ा, तो वहीं रतलाम संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस की जीत ने लंबे समय से प्रदेश में अपनी वापसी की बाट जोह रही इस पार्टी की उम्मीदों को एक बार फिर पंख लगा दिए।
साल के कई महीनों में कथित तौर पर व्यापमं मामले से जुड़ीं मौतों ने प्रदेश की राजनीति के गलियारों में भारी हलचल मचाई। प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे और घोटाले के एक आरोपी शैलेष यादव की मार्च में लखनऊ में हुई संदिग्ध मौत के बाद जुलाई में घोटाले को कवर करने दिल्ली से झाबुआ आए एक टीवी पत्रकार अक्षय सिंह और 2 दिन बाद दिल्ली के एक होटल में जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन अरुण शर्मा की संदिग्ध मौत ने मामले को बेहद गर्मा दिया।
संदिग्ध परिस्थितियों में लगातार हुई कई मौतों और विपक्ष की भारी मांग के चलते मुख्यमंत्री चौहान ने उच्च न्यायालय से मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की अनुशंसा की।
बाद में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कई व्हिसल ब्लोअर्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने व्यापमं से जुड़े सभी मामले सीबीआई को सौंपने के निर्देश दिए।
मामले की जांच एजेंसी को सौंपे जाने के बाद से कई लोगों को जमानत मिलने के कारण अब मामले की पहले जांच कर रहे विशेष जांच बल (एसटीएफ) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने नवंबर में बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के 10 साल पूरे कर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का रिकॉर्ड तोड़ा। हालांकि प्रदेश में सूखे से किसानों की खराब स्थिति के कारण इस मौके पर कोई बड़ा जश्न नहीं मनाया गया।
वर्तमान में कांग्रेस महासचिव सिंह का जहां इस बार रिकॉर्ड टूटा, वहीं फरवरी में विधानसभा में फर्जी नियुक्तियों के संबंध में उनके खिलाफ मामला दर्ज होने से भी उनकी मुसीबतें बढ़ती हुई दिखाई दीं।
विधानसभा सचिवालय ने सिंह और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के खिलाफ 1993 से 2003 के बीच विधानसभा में फर्जी नियुक्तियों के संबंध में शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद पुलिस ने दोनों के खिलाफ मामले दर्ज किए।
मामले के संबंध में अक्टूबर में सिंह के बयान भी दर्ज किए गए। हालांकि कांग्रेस ने इसे राजनीति से प्रेरित मामला बताते हुए इसका खासा विरोध किया। तमाम राजनीतिक परेशानियों के बावजूद सिंह के जीवन में इस बार खुशियों ने एक बार फिर दस्तक दी। इस साल उन्होंने पेशे से पत्रकार अमृता राय से सात फेरे लेकर सबको चौंका दिया।
जाता हुआ साल प्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के लिए भी आशा की किरण बनकर आया। व्यापमं मामले के संबंध में पिछले डेढ़ साल से जेल की चहारदीवारी में कैद शर्मा को दिसंबर में उच्च न्यायालय से सभी मामलों से जमानत मिल गई, परिणामस्वरूप साल के अंतिम पखवाड़े में उन्होंने खुले में सांस ली। इस साल विधानसभा का बजट सत्र व्यापमं की भेंट चढ़ गया।
घोटाले पर मचे हो-हल्ले के कारण सत्र अपने निर्धारित समय से 29 दिन पहले ही खत्म हो गया। इसके फौरन बाद बुलाए गए एक विशेष सत्र के दौरान कांग्रेस के विधायक किसानों को मुआवजे की मांग को लेकर विधानसभा परिसर में ही भूख हड़ताल पर बैठ गए।
घोटाले ने मानसून सत्र को भी हंगामेदार बनाए रखा। मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर विपक्ष के लगातार हंगामे के कारण यह सत्र भी तय समय से 9 दिन पहले ही खत्म हो गया। इस साल नवंबर महीने में किसानों की स्थिति पर चर्चा और लगभग 8,000 करोड़ का अनुपूरक बजट पारित करने के लिए 1 दिन का विशेष सत्र आयोजित किया गया।
प्रदेश की राजनीति के एक धुरंधर चेहरे कैलाश विजयवर्गीय को इस साल पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने चुनकर पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया। इसके चलते विजयवर्गीय ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
शिवराज कैबिनेट की एक और मंत्री कुसुम मेहदेले भी इस बार विवादों के चलते सुर्खियों में रहीं। मेहदेले ने पैसे मांगने पर एक बच्चे को कथित तौर पर लात मार दी। घटना के विवादों में आने के बाद हालांकि उन्होंने इससे इंकार किया लेकिन विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
सितंबर महीने में राजधानी भोपाल में विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन हुआ। विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित इस सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। (वार्ता)