भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जानापाव सनातन संस्कृति के सात चिरजीवियों में से एक भगवान श्री परशुराम जी की जन्मस्थली है। यह भारत भूमि पर एक अद्वितीय स्थल है। जब-जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ा, भगवान परशुराम ने शस्त्र उठाए और अधर्मियों का समूल नाश कर दिया और सनातन संस्कृति की रक्षा की। उन्होंने सनातन समाज को निर्भय होकर जीने का संदेश दिया। इससे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बुधवार को महू के जानापाव स्थित भगवान श्री परशुराम जी की जन्मस्थली पर पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि के लिए कामना की। उन्होंने 'परशुराम प्रकटोत्सव' को संबोधित करते हुए जानापाव में परशुराम धाम विकसित करने की घोषणा की। इस अवसर पर केंद्रीय राज्यमंत्री महिला बाल विकास मंत्रालय सावित्री ठाकुर, राज्यसभा सांसद श्रीमती कविता पाटीदार, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट सहित साधु-संत तथा बड़ी संख्या में पदाधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन ने कहा कि भगवान श्रीराम से लेकर श्रीकृष्ण के काल तक परशुराम जी के पराक्रम और उनके शस्त्रों की महत्ता दिखाई देती है। जब श्रीराम स्वयंवर में पहुंचे तो वहां उन्होंने परशुराम जी का धनुष तोड़ा। इसी प्रकार भगवान श्रीकृ्ष्ण के काल में परशुराम जी के सुदर्शन चक्र की लीला देखने को मिली। उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपना प्रिय सुदर्शन चक्र श्रीकृष्ण को दिया था। भगवान परशुराम कौरव-पांडवों के गुरु द्रोणार्चाय के भी गुरु थे। उन्होंने निडर होकर धर्म की रक्षा का संदेश दिया है।
धर्म और संस्कृति को पल्लवित कर रही प्रदेश सरकार- मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा कि भारत भूमि पर देवी-देवताओं की कृपा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के साथ प्रगति के पथ पर अग्रसर है। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाकर कश्मीर को उसका वास्तविक अधिकार दिया गया। केंद्र सरकार देश की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठा रही है। हमारी संस्कृति जीयो और जीने दो पर आधारित है। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में सनातन संस्कृति के विकास के लिए राज्य सरकार ने गीता भवनों के निर्माण का संकल्प लिया है। हमारी सरकार धर्म और संस्कृति को पुष्पित-पल्लवित करते हुए आगे बढ़ रही है। प्रदेश के गरीब, अन्नदाता (किसान), युवा और नारी कल्याण के लिए मिशन शुरू किए गए हैं। किसानों की समृद्धि के लिए प्रदेशभर में एक-एक खेत तक सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है। मध्यप्रदेश में 2 नदी जोड़ो परियोजनाओं की शुरुआत हो चुकी है। अब बुंदेलखंड, चंबल, निमाड़ और मालवा के कई जिलों के किसानों को पर्याप्त पानी मिलेगा।