2. शल्य मामा : महाभारत में शल्य तो पांडवों के मामा थे लेकिन उन्होंने कौरवों की ओर से लड़ाई-लड़ते हुए पांडवों को ही फायदा पहुंचाया था। दरअसल, शल्य ने जब हस्तिनापुर का राज्य में प्रवेश किया तो दुर्योधन ने उनका भव्य स्वागत किया। बाद में दुर्योधन ने उनको इमोशनली ब्लैकमेल कर उनसे अपनी ओर से लड़ने का वचन ले लिया। उन्होंने भी शर्त रख दी कि युद्ध में पूरा साथ दूंगा, जो बोलोगे वह करूंगा, परन्तु मेरी जुबान पर मेरा ही अधिकार होगा। दुर्योधन को इस शर्त में कोई खास बात नजर नहीं आई। शल्य बहुत बड़े रथी थे। उन्हें कर्ण का सारथी बनाया गया था। वे अपनी जुबान से कर्ण को हतोत्साहित करते रहते थे। यही नहीं प्रतिदिन के युद्ध समाप्ति के बाद वे जब शिविर में होते थे तब भी कौरवों को हतोत्साहित करने का कार्य करते रहते थे।
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