हमारे सुख-दु:ख की जितनी साक्षी हमारी मां होती है, उतना शायद ही कोई ओर हो, भले ही फिर मां सामने हो या ना हो। मां सिर्फ एक रिश्ता नहीं होता, वो एक संस्कार है, एक भावना है, एक संवेदना है। संस्कार इसलिए, क्योंकि वो आपके लिए सिर्फ और सिर्फ अच्छा सोचती है। भावना इसलिए, क्योंकि वो आपके साथ दिल से जुड़ी होती है और संवेदना इसलिए, क्योंकि वो आपको हमेशा प्रेम ही देती है।