मति का अर्थ बुद्धि या अक्ल होता है। यह बुद्धि या अक्ल आती है सोचने, विचार करने और तर्क करने से। कई लोग यह कार्य नहीं करते हैं। बस अपनी भावनाओं के अनुसार ही सोचते और समझते हैं। जैसे एक पशु कुछ भी देख या सुनकर रियेक्ट करता है उसी तरह से कई मनुष्ट सोच समझकर नहीं बल्कि देख और सुनकर रियेक्ट करता है। दोनों ही तरीके से आपकी मति का निर्माण होता है। कहते हैं कि जैसी मति वैसी गति यदि अच्छी मति हुई तो जीवन में अच्छी गति होगी और बुरी मति हुई तो बुरी गति होगी। यहां जानिए कि मति को अच्छी कैसे किया जा सकता है।
1. विचार तो सबके भीतर होते हैं, लेकिन उन विचारों को एक दिशा देना हर किसी के बस की बात नहीं। दूसरी बात कि आपके भीतर विचार कौन से हैं? क्या कचरा किताबों के विचार? खुद के विचार या उधार के विचार? सोचता तो हर कोई है, लेकिन जो नए ढंग से सोचकर उसे कार्य रूप में परिणित कर देता है, विजेता वही कहलाता है।
2. धरती पर आज जितना भी विकास और विध्वंस हुआ है और हो रहा है वह विचार का ही परिणाम है। अच्छा ज्ञान या विचार अच्छा करेगा और बुरा ज्ञान बुरा। आप खुद सोचे कि आप फेसबुक और वाट्सपए के साथ क्या करते हैं।
3. आपका मस्तिष्क ही आपको हराता और जीताता है। आप अपने मस्तिष्क को किस तरह एक नया आयाम दे सकते हैं इस बारे में सोचें। हो सकता है कि आप अच्छी किताबें नहीं पढ़ते हों और आपमें ज्यादा जानकारी या ज्ञान भी नहीं हो तो फिर आपकी सोच भी सीमित ही रहेगी। सफलता के लिए जरूरी है ज्यादा से ज्यदा जानकारी जुटाना और उस पर विचार करना।
4. ज्ञान से ही व्यक्ति सफल और असफल होता है। व्यक्ति को दुखों से ज्ञान ही बचाता है और दुख में ज्ञान ही डालता है। इसीलिए विज्ञान मस्तिष्क की शक्ति को मानता है। मस्तिष्क की गति हजारों सुपरकंप्यूटर्स से भी तेज मानी गई है। मस्तिष्क की क्षमता की सीमा को विज्ञान आज भी जान नहीं पाया है, लेकिन आप जान सकते हैं यदि आप जानना चाहते हैं तो।
5. आपको अच्छी मति के लिए तर्क, कुतर्क, वितर्क आदि से दूर रहकर सबसे पहले दुनियाभर की जानकारी एकत्रित करना चाहिए। इतिहास, धर्म, दर्शन, विज्ञान, राजनीति के साथ ही दुनिया भर की जानकारी को जानने के लिए सदा उत्सुक रहना चाहिए। जब मस्तिष्क में जानकारियों का भंडार हो जाता है तभी मस्तिष्क तेज गति से सक्रिय होकर ज्ञान को जन्म देकर उसके अनुसार ही बातों का अर्थ लगाता है।
6. जब व्यक्ति के दिमाग में भरपूर डाटा रहेगा तब वह तर्क, वितर्क या कुतर्क में पारंगत तो होगा ही साथ ही जल्द ही इसकी व्यर्थता को भी भांप लेगा। तर्क से परे है ज्ञान की ताकत। विश्लेषण कर अच्छे और बुरे का ज्ञान जल्द ही होगा और बुद्धि कुशाग्र होती जाएगी। 100 डीग्री पर गर्म होने के बाद ज्ञान अंतर्ज्ञान (intuition) में बदल जाता है। सभी तरह की सफलता के लिए ज्ञान का होना जरूरी है।
7. ऐसे लोग अपने ज्ञान व अनुभव के बल पर ही संसार में कुछ अलग कर दिखाते हैं, ऐसे लोग ही संसार में रहकर ही सफलता के चरम शिखर पर पहुंचकर ज्ञानी कहलाते हैं। कहते हैं कि विचारों में प्रचंड शक्ति है। विचार से जीवन को सकारात्मक आयाम देकर सभी तरह की खुशियां हासिल की जा सकती है। विचार संपन्न व्यक्ति बनने के लिए दुनिया की सभी तरह की जानकारी रखकर खुले दिमाग का बनना जरूरी है। ध्यान रखें की जानकारी और ज्ञान में फर्क है। ढेर सारी जानकारियां रखने वाले भी मूर्ख होते हैं। परंतु दोनों ही होना जरूरी है।