जब तुम वास्तव में किसी वस्तु को पाना चाहते हो तो सम्पूर्ण सृष्टि उसे हासिल कराने की मदद करते हुए तुम्हारे लिए षड्यंत्र करती है
इसी पंक्ति से मिलता-जुलता डायलॉग आपने हिंदी सिनेमा की ओम शांति ओम फिल्म में सुना होगा। लेकिन असल में यह पंक्ति पाउलो कोएलो की लिखी किताब द अल्केमिस्ट में दर्ज है।
इस पंक्ति की गहराई में जो अर्थ छुपा है वो यही कहता है कि आप किसी चीज को अपने दिल, दिमाग और अपनी पूरी आत्मा से चाहोगे तो यह सृष्टि, यह प्रकृति या यह कुदरत भी उसे हासिल करने में आपकी पूरी मदद करने लगेगी। फिर चाहे वो कोई इरादा हो, कोई मकसद या फिर आपके जीवन का कोई उदे्दश्य ही क्यों न हो।
इसी बात को स्वामी विवेकानंद ने कहा है— एक समय में एक काम करो, कोई एक विचार लो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे झोंक दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
शायद द अल्केमिस्ट में पाओलो कोएलो ऐसा ही कुछ कहना चाहते हैं। लेकिन वे यहां उदेश्य की जगह स्वप्न की बात करते हैं। वे कहते हैं।
हम सभी कोई न कोई सपना जरूर देखते हैं। वो सपना नहीं, जिसे हम सोते वक्त देखते हैं, बल्कि वो सपना जो हमें सोने नहीं देता है। खास बात यह है कि अपने उस सपने को हासिल करने की कुंजी किसी ओर के पास नहीं बल्कि वो कुंजी सिर्फ और सिर्फ हमारे ही पास है।
जिस वक्त हम अपना सपना खोज लेते हैं, उसे पहचान लेते हैं और फिर उसे हासिल करने के लिए जब पूरी हम पूरी शिद्दत से मेहनत और इच्छा करने लगते हैं तो हमारे साथ-साथ यह सृष्टि भी हमारी उसे हासिल कराने में हमारी मदद करती है।
कई बार ऐसा लगता है कि अब सबकुछ ख़त्म हो गया, लेकिन जब हम दोबारा हिम्मत के साथ आगे बढ़ते हैं तो रास्ते मिलने लगते हैं।
दरअसल, द अल्केमिस्ट की कहानी भी सपना देखने और उसे पूरा करने की कहानी है।
यह एक स्पेनिश लड़के सैंटियागो की कहानी है, जो दुनिया घूमने के लिए चरवाहा बन जाता है। अपनी भेड़ों के साथ वह अंडलूसिया के मैदानों में घूमता रहता है। लेकिन उसकी जिंदगी तब बदलती है, जब वह अपना सपना किसी से साझा करता है।
वो कहता है कि मिस्र के पास एक खजाना है, जिसे पाने के लिए उसे एक लड़की हाथ पकड़कर ले जाती है और फिर गायब जो जाती है, ठीक उसी जगह पर उसकी नींद खुल जाती है।
अपने सपने के बारे में जानने के लिए, उसे पहचानने के लिए वो एक ऐसी जिप्सी बुढिया के पास जाता है जो सपने बांचने का काम करती हैं।
अपने सपनों को हासिल करने का सफर भी इंसान को बहुत कुछ सिखा देता है
अपने सपने का पीछा करते हुए सैंटियागो कई लोगों से मिलता है। कई अनुभव सीखता है, कई भाषाएं सीख लेता है और दुनिया में कई जगहों की यात्राएं वो कर लेता है। इसी यात्रा में सैंटियागो एक धनवान व्यक्ति हो जाता है और फिर एक दिन आता है जब उसका सबकुछ लुट भी जाता है। उसे फातिमा नाम की एक रेगिस्तान की लड़की से प्रेम भी हो जाता है।
खास बात यह है कि अपने सपने के पीछे भागते हुए सैंटियागो वह सब हासिल कर लेता है जो उसे कभी नहीं मिल सकता था।
अंत में जब कहानी खत्म होती है तो पता चलता है कि जिस खजाने को सैंटियागो ढूंढ रहा था वो मिस्र में नहीं, बल्कि वहीं था, जहां से उसने अपनी भेड़ों के साथ दुनिया को देखने का सफर शुरू किया था।
क्या सिखाती है यह किताब?
जब हम पूरे दिल से किसी को पाना चाहते हैं तो सम्पूर्ण सृष्टि उसे पाने की मदद में हमारे लिए षड्यंत्र करती है
अपने सपने को हासिल करने की कुंजी किसी ओर के पास नहीं, बल्कि वो कुंजी सिर्फ और सिर्फ हमारे ही पास है
सपना वो नहीं होता, जिसे हम सोते वक्त देखते हैं, सपना होता है जो हमें सोने नहीं देता है
सपना देखना और उसका पीछा करना सिखाएगी 'द अल्केमिस्ट'
कई बार अपना मकसद हासिल करने में हम मंजिल को भी भूल जाते हैं, क्योंकि कोशिश करने में ही इतना मजा आता है।