मध्यप्रदेश में चुनावी रण का आगाज हो चुका है। पूरे प्रदेश में इस समय सबसे तेज चुनावी सरगर्मी मालवा में है। हर पार्टी मालवा की 48 सीटों पर नज़रे गड़ाए बैठी है। उसी का नतीजा है की आज से किसान नेता हार्दिक पटेल ने गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी के साथ मालवा से भाजपा के खिलाफ चुनावी शंखनाद कर दिया और उन्होंने साफ संकेत दे दिया की मालवा को वे चुनावी अखाड़ा बनाएंगे। हार्दिक तीन दिन तक मध्यप्रदेश में रहेंगे उनके साथ किसान क्रांति सेना के प्रदेशाध्यक्ष महेंद्र पाटीदार भी हैं।
हार्दिक मालवा में कांग्रेस का हाथ मजबूत करेंगे लेकिन कांग्रेस भी मालवा में अपना दम दिखाना चाहती है। इसलिए प्रदेश में सबसे पहली चुनावी सभा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मालवा के मंदसौर जिले के पिपलिया मंडी से की क्योंकि कांग्रेस जानती है कि किसान आंदोलन में झुलस चुके मालवा में उनकी राह आसान हो सकती है।
इधर पार्टी सूत्रों से एक बड़ी खबर और आ रही है, वह यह कि कांग्रेस के स्टार प्रचारक ज्योतिरादित्य सिंधिया मालवा के जावरा से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। गौरतलब है की जावरा नीमच-मंदसौर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है, लेकिन आता रतलाम जिले में है। यहां से सिंधिया के खासमखास नेता महेंद्रसिंह कालूखेड़ा चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन कुछ समय पहले उनका निधन हो गया था। इसके अलावा एक खास बात और की मालवा पूर्व में सिंधिया रियासत का हिस्सा रहा है और अपने हर भाषण में महाराज सिंधिया मालवा को अपना घर कहते हैं।
वहीं, सबसे खास बात यह है कि किसान आंदोलन से लेकर आज तक लगातार सिंधिया यहां आते रहे हैं और उन्होंने खासी ज़मीन तैयार कर ली है। इस क्षेत्र में उनका भाषण बेहद पर्सनल टच लिए होता है। '
महाराज के जावरा से चुनाव लड़ने की खबरों के चलते ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जावरा आए थे और उन्होंने भाजपा की ज़मीन देखी यहां से अभी भाजपा के राजेंद्र पांडे विधायक हैं, जो भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और सांसद स्व. लक्ष्मीनारायण पांडे के बेटे हैं।
हाल की सर्वे रिपोर्ट उनके पक्ष में नहीं है और ऐसे में सिंधिया यदि मैदान संभालते हैं तो भाजपा को कोई कद्दावर नेता उतारना पड़ेगा। वैसे गत दिवस जब अमित शाह जावरा आए थे, तब पार्टी के कार्यक्रम में उपस्तिथि संतोषप्रद नहीं रही थी।
सिंधिया के जावरा से चुनाव लड़ने की खबरों ने भाजपा को परेशान किया हुआ है। जानकार बता रहे हैं की पार्टी कैलाश विजयवर्गीय को जावरा से चुनाव मैदान में उतार सकती है क्योंकि विजयवर्गीय का मालवा में खासा आधार है और वे एक कद्दावर नेता हैं। यदि चुनाव में यही समीकरण रहे तो मालवा बड़ा चुनावी अखाड़ा बन जाएगा।
वैसे विजयवर्गीय के अलावा रतलाम विधायक चेतन काश्यप को भी पार्टी सिंधिया के सामने झोंक सकती है। क्योंकि कश्यप आर्थिक रूप से बेहद ताकतवर माने जाते हैं, वहीं जावरा में जैन समाज ताकत में है और कश्यप स्वयं जैनी होकर जैन समाज में अपनी बड़ी हैसियत रखते है।